ना सूर्य ग्रहण ना चन्द्र ग्रहण फिर भी महालक्ष्मी मंदिर को लगा सुतक का ग्रहण…. शुद्धिकरण की तैयारी….
श्रीमाली ब्राह्मण समाज की कुलदेवी है महालक्ष्मी मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा..... अंदर सती माता का भी है मंदिर.... पुजारी संजय के परिवार में मौत होने के बावजूद पूजा करने का आरोप... पुजारी परिवार में सूतक फिर भी आ जा रहा है मंदिर में... रात को प्रशासन ने मंदिर में लगाए ताले अभी सुबह होगा शुद्धिकरण....
(www.csnn24.com) रतलाम हम सभी जानते है कि जब भी सुर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगता है तो इसके चलते मंदिरों के पट बंद होतें है। क्योंकि इस सूतक काल माना जाता है। ग्रहण काल समाप्त होने के पश्चात मंदिरों को गंगाजल के छिड़काव या शुद्ध जल से धोकर प्रतिमा का शुद्धिकरण स्नान कराकर पूजापाठ की जाती है मगर रतलाम का विश्व विख्यात शासकीय बडा़ महालक्ष्मी जी मंदिर के पुजारी के परिवार में हुई गमी के चलते सुतक लगने के कारण व समाजनो के पुजारी के मंदिर में प्रवेश करने वहा बैठें रहने के कारण बंद हो गया है जिसका समाज ने घोर विरोध किया और मंदिर बंद करवाया अब महालक्ष्मी मंदिर को गंगाजल के छिड़काव के बाद अन्य पण्डित को शासन द्वारा कार्य सोपा जाएगा।
रतलाम पूरे देश ही नहीं विश्व में विख्यात रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर को सूतक की नजर लग गई है या फिर अथवा यह कहे की महालक्ष्मी मंदिर पर ग्रहण लग गया है… मंदिर में दिपावली की सजावट चल रही थी और कुबेर का खजाना सज रहा था। सभी जानते हैं कि मंदिर विश्व विख्यात है यहां पर करोड़ों का खजानें से सजाया जाता है। और दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं परंतु इस बार मंदिर की सजावट पर नजर लगाती नजर आ रही है। क्योंकि विवाद का कारण है कि इस मंदिर के पुजारी संजय के बड़े भाई का निधन रतलाम शहर से बाहर हो गया था और क्षेत्र के लोगों तथा श्रीमाली ब्राह्मण समाज जिनकी अधिष्टा कुलदेवी देवी महालक्ष्मी मंदिर में विराजित है। तथा यहां पर समाज का सती माता का मंदिर भी है। समाज का विरोध था कि पुजारी के घर परिवार म़े मौत हुई है तथा सूतक लगा है तो वह मंदिर में नहीं आ सकते… तथा यह हिंदू रीति रिवाज एवं सनातन धर्म के विपरीत है।
इसके पश्चात प्रशासन ने मंदिर में दूसरे पुजारी की व्यवस्था कर दी थी परंतु आज भी विरोध नहीं थमा और.. रतलाम के इतिहास में पहली बार महालक्ष्मी मंदिर में दीपोत्सव के पर्व के पूर्व एक रात के लिए ताले लग गए हैं. और अब महालक्ष्मी मंदिर का आज सुबह प्रशासन अधिकारियों की उपस्थिति में समाजनो द्वारा शुद्धिकरण किया जाएगा तत्पश्चात मंदिर के पट खोले जाएंगे एवं श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सकेंगे… उल्लेखनीय की रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर पूरे देश के साथ-साथ विश्व में भी विख्यात है यहां पर भक्त लोग अपना सोना चांदी हीरे जवारत एवं नगद राशि जमा करते हैं तथा उनकी रजिस्टर में एंट्री होती है… इसी धनराशि से महालक्ष्मी जी को भव्य स्वरूप में सजाया जाता है एवं उसे कुबेर का खजाना बोला जाता है तथा धनतेरस के दिन यह पूरा मंदिर कुबेर के खजाने के रूप में श्रद्धालुओं के सामने एक भव्य अलौकिक रूप में दिखाई देता है… दीपावली के पश्चात भाई दूज के बाद यहां से जो लोग धनराशि जमा कर कर टोकन लेकर जाते हैं उन्हें उनकी वही धनराशि टोकन के आधार पर लौटा दी जाती है यह पूरे विश्वास के आधार पर होता है और सभी श्रद्धालु लोग जो धनराशि लेकर जाते हैं वह साल भर अपनी तिजोरी और घर के मंदिर में रखते हैं ऐसी मान्यता है कि इसको घर अथवा तिजोरी एवं मंदिर में रखने से पूरे साल घर में धन की कमी नहीं आती है। उल्लेखनीय की प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की दिशा निर्देश के पश्चात प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा यहां पर समाज की मांग के आधार पर ताला लगाया गया है एवं शुद्धिकरण की बात करी गई है। इस समय मंदिर में शुद्धिकरण की तैयारी की जा रही है। प्रशासन के द्वारा पंडित संजय पुजारी से हिसाब किताब भी मांग लिया गया है तथा उसका कहना है कि वह उसी के कारण मंदिर में गया था परंतु विरोध कर रहे समाज के लोगों ने बताया कि परिवार के लोगों का लगातार मंदिर में आना-जाना एवं बैठना हो रहा था जो रीति रिवाज एवं नियमों के विपरीत थे इसके चलते शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाएगी उसके पश्चात आज सुबह मंदिर के पट खोले जाएंगे।