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कानून एवं अपराध

यदि आप है स्ट्रीट एनिमल फीडर , तो कानून भी है आपके साथ

जाने स्ट्रीट एनिमल केयर कितना सही है क़ानूनी नज़र में

Publish Date: February 12, 2023

Ratlam(csnn24.com)| भारत का सबसे चर्चित मुद्दा है, स्ट्रीट एनिमल केयर करने वालो की लड़ाई एनिमल क्रुएल्टी करने वालो से |हर रोज़ ऐसे लोगो को दबा दिया जाता है जो इन बेज़ुबानों की मदद में आगे आते है , जिसमे आकड़ा देखा जाये तो सिर्फ 100 में से 40% लोग होंगे जो इन जानवरो से नफरत करते है, फिर ये लोग क्यों दबा दिए जाते है ? आज ये मुद्दा इतना बढ़ चूका हे की बिचारे नन्हे  जानवर , पिल्लै , बिल्ली गाड़ियों  से रोंद दिए जाते हे, पिटे जाते हे, एसिड और धीमे ज़हर से मारे जाते है ! ऊंची इमरत से फेंके जाते है , टार्चर का शिकार होते है ,अपनी जगह से फेंके जाते है , यहां तक की ये अत्याचारी लोग इनका रेप भी कर देते है ?! ऐसी खबरें भी शेयर नहीं होती न ज़्यादा संज्ञान में लायी जाती है !? तब हम 60 % लोग एक साथ क्यों नहीं आते , जब हमारा काम क़ानूनी रूप से सही हे तो हम क्यों पीछे हटे ऐसे दुराचारियो को सज़ा दिलाने में, साबुत होते हुए भी, हम एक दूसरे पर निर्भर क्यों हो जाते हे की कौन साथ देगा कौन नहीं , जब कानून और बड़े बड़े संस्था हमारे साथ है , यहां तक की मीडिया भी जो सर्वश्रेस्ठ माध्यम है !?

Human Cruelty on Street Dogs

कारण हे सपोर्ट और ज्ञान की कमी ! बहुत से लोग निःस्वार्थ रूप से कई जानवरों की जैसे आवारा गाय , आवारा बिल्ली,बंदर , चिड़िया और खासकर आवारा कुत्तों की देखभाल करते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं या उनके लिए भोजन तैयार करते हैं, उन्हें सर्दियों में गर्म वस्त्र देते हैं, रहने की जगह बनाते हे , उनकी , और चुपचाप उनकी देखभाल करते हैं। यहां तक ​​कि भारतीय संविधान भी सभी जानवरों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (को एक्सस्टेंस) और सभी जीवित प्रजातियों के लिए करुणा (कंपैशन) को हमारे मौलिक कर्तव्यों (फंडामेंटल ड्यूटीज) में से एक के रूप में प्रोत्साहित करता है [अनुच्छेद 51 (G)], लेकिन ये चीजें उतनी सीधी नहीं हैं जितनी वे दिखती हैं। क्योकि इसके विरोध में कई करुणाहीन लोग भी आपके सामने चुनौती बनकर खड़े हो जाते है |

 

Animal Cruelty

आवारा कुत्तों को खाना खिलाना किसी भी समाज के भीतर और बाहर दोनों जगह कानूनी है, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 A (G) के तहत कुत्तों को खाना खिलाने के आवश्यक दायित्व को पूरा करने से उन्हें धमकाया जाना यह प्रतिबंधित कार्य रहा है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI – ANIMAL WELFARE BOARD OF INDIA ने आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, और कुत्तों को खिलाने वाले और देखभाल करने वालों की रक्षा करने वाले कई न्यायिक (ज्यूडिशियल) निर्णय हुए हैं, जो गलत जानकारी वाले लोगों को जानना जरुरी है । सामुदायिक (कम्युनिटी) कुत्तों की देखभाल करने और उन्हें खिलाने का विकल्प चुनने वाले किसी भी व्यक्ति के काम में हस्तक्षेप करना या परेशान करना आपराधिक धमकी (क्रिमिनल इंटिमिडेशन) है, जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के साथ पठित धारा 503 द्वारा परिभाषित किया गया है। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 428 और 429 , पशुओं के प्रति क्रूरता को एक अपराध बताती हैं। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत पशुओं को घायल करना, जहर देना, स्थानांतरित (ट्रांसफर) करना या उनका आश्रय हटाना यह सभी गंभीर अपराध हैं।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने पालतू जानवरों के मालिकों और आवाराव जानवरों ,कुत्तों को खाना खिलाने वालों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

दिशानिर्देशों के अनुसार:

  • इसके अलावा, लोगों को सड़क पर रहने वाले जानवरों को खाना खिलाने से रोकने का कोई नियम नहीं है। नागरिक/पशु कल्याण स्वयंसेवक (वॉलंटियर्स) जो ऐसा करना चाहते हैं, वे भारतीय संविधान द्वारा उन पर लगाए गए सभी जीवित जानवरों के लिए करुणा (कंपैशन) प्रदर्शित करने के संवैधानिक कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं। भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के एक वैधानिक संगठन, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने हाल ही में 3 मार्च 2021 को आवारा कुत्तों को खिलाने पर व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों को दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिसे जानवरों के कल्याण और संरक्षण के लिए नागरिक और अन्य बनाम राज्य और अन्य के मामले में बरकरार रखा गया।
  • रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) या समाज का कोई भी दबाव किसी को पालतू जानवर को छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, और ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है। आरडब्ल्यूए, जिसे अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) के रूप में भी जाना जाता है, उनके पास पालतू जानवरों के मालिकों की लिफ्ट या पार्क जैसी अन्य सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच को प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है। आरडब्ल्यूए और एओए के पास निवासियों को पालतू कुत्ते प्राप्त करने से रोकने या प्रतिबंधित करने या कुत्ते के आकार या नस्ल के आधार पर भेदभाव करने से रोकने या प्रतिबंधित करने का कोई अधिकार नहीं है।
  • सड़क पर चलने वाले जानवरों के मामले में, एडब्ल्यूबीआइ नियम कहता है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाना कानूनी रूप से संरक्षित गतिविधि (प्रोटेक्टेड एक्टिविटी) है और देखभाल करने वालों और खाना खिलाने वालो को इन कुत्तों का टीकाकरण (वैक्सीनेशन) और नसबंदी (स्टेरलाइज) करवाना चाहिए ताकि पशु कल्याण संगठनों को उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सके। यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत सरकार के पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2001 के अनुसार किसी भी नसबंदी किए गए कुत्तों को उनके क्षेत्र से नहीं हटाया जा सकता है। पर नसबंदी के लिए फाॅर्स भी नहीं किया जा सकता क्योकि रिसेंटली बेंगलोर में 80 कुत्तो की मौत का कारण नसबंदी है | किसी भी फीमेल डॉग और उसके बच्चो को उनकी जगह से बिना वजह हटाना भी अपराध हे खासकर प्रेग्नेंट मादा कुत्ते को |
  • सड़कों पर कुत्तों, बिल्लियों या गायों को जानबूझकर वाहनों से घायल करना भी कानून के खिलाफ है। उन्हें बेवजह डंडो या पथर से मरना भी एक गुनाह है | एक व्यक्ति जो इन नियमों को तोड़ता है, उसे स्थानीय पशु संरक्षण संगठन के साथ-साथ पुलिस को भी रिपोर्ट किया जा सकता है। उपर बताई गई धाराओं का उपयोग मामला दर्ज करने के लिए भी किया जा सकता है। पहले सभी कार्रवाइयां जुर्माना और/या पांच साल की जेल की सजा से दंडनीय हैं।
  • बोर्ड आवारा कुत्तों की देखभाल करने वालों के लिए भी निर्देश जारी करता है, उन्हें सार्वजनिक रूप से आवारा लोगों को भोजन कराते समय स्वच्छ भोजन प्रक्रियाओं का उपयोग करने और बच्चों के खेल के मैदानों के पास आवारा पशुओं को खिलाने से बचने का निर्देश देता है।
  • यह देखभाल करने वालों को सलाह देता है कि वे अपने पालतू जानवरों को देर रात या सुबह जल्दी खिलाएं, जब वाहनों और मानव दोनों में बहुत कम यातायात हो। भोजन घनी आबादी वाले स्थानों से दूर किया जाना चाहिए और देखभाल करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने घरों के पास या बच्चों के खेलने वाले स्थानों और लोगों के चलने वाले क्षेत्रों के आस-पास के स्थानों पर गली के कुत्तों को न खिलाएं।

इस तरह के कड़े कानूनों के अस्तित्व के बावजूद, कई लोगों को दंडित नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें न्याय की अदालत में पेश करना मुश्किल है क्योकि कई लोगो को इन नियमो के बारे में पता ही नहीं हे जिससे वे सामने वाले को उसके अपराध की सजा दिला सकें । इन नियमों को लागू करने के लिए ज्यादातर गैर सरकारी संगठन और लोग जिम्मेदार हैं। एक पशु प्रेमी के लिए अब इन नियमों से अवगत होना आवश्यक है। यदि इन नियम की जानकारी हो और आपके पास मोबाइल या केमरा में सबूत हो तो फिर फ़िक्र की बात नहीं हे , कानून भी आपके साथ है , और ऐसे कई संघठन भी हे जिसकी आप मदद ले सकते है और स्ट्रीट डॉग्स के प्रति बढ़ते अपराधों को कम कर सकते है |

लोग कहते हैं कि कुत्ता भौंक रहा है कहीं लपक ना जाए, इसे पकड़वा दो ।गाय बैल घर के बाहर रोड़ पर गोबर कर रही है इसे भगाया जाए । बिल्ली दीवार पर चढ़कर चिल्ला रही है इसे मार कर भगाया जाए ,ये अपशकुन है। पर क्या यही लोग यह सोचते हैं कि हमने कभी इस कुत्ते को पत्थर या डंडे से फ़ेक कर मारा था तो ,यह हमें अनजान समझकर भौंक रहा है ।और भोंकना तो उसकी भाषा है ।क्या हम इसे रोटी या बिस्किट खिला कर ,दोस्ती नहीं कर सकते क्या हम भूखे गाय बैल को रोटी देकर रोड़ के साइड में नहीं हटा सकते, क्या यह बिल्ली बिचारी भूखी प्यासी नहीं होगी ? इतनी बदतर हालत हमने इन पशुओं की क्यों कर रखी है ,क्योंकि यह सड़क पर रहते हैं इसीलिए इसमें इनकी क्या गलती हमने ही तो उनके घर उजाड़ रखे हैं । यह तो हमारे पहले से अपना अस्तित्व रखते हैं या उस एरिया में रहते हैं जहां हम इनके बाद में आए हैं और अपना घर बनाया है।

Why people don’t Follow them for this acts ?!

इतिहास और पुराण गवाह हे की कुत्ते हो या दूसरे पशु पक्षी सभी का कुछ न कुछ महत्त्व है | ये सब शायद हम भूल चुके है। पर अभी की बात तो आप सभी को याद होगी की दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कुत्ते उत्कृष्ट संरक्षक (एक्सीलेंट गार्ड) होते हैं और मिलनसार (फ्रेंडली), बुद्धिमान और वफादार साथी होते हैं। यह रिकॉर्ड में लाना आवश्यक है कि ये व्यक्ति और परिवार जो आवारा जानवरों को गोद लेते हैं, मानवता की एक महान सेवा कर रहे हैं क्योंकि वे इन जानवरों को भोजन और आश्रय प्रदान करके सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

Feeding Animals – Act of Kindness

अदालत ने कहा कि स्थानीय पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों का दायित्व है कि वे न केवल इस तरह के गोद लेने को प्रोत्साहित करें बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे व्यक्ति जो इन जानवरों, विशेष रूप से समुदाय या पड़ोस के कुत्तों की देखभाल के लिए आगे आते हैं, वह किसी भी प्रकार की क्रूरता के लिए उनके अधीन नहीं हैं। और हर व्यक्ति को आवारा कुत्तों को अपनाने का अधिकार है। एक व्यक्ति के रूप में न केवल न्यायालय के आदेश पर बल्कि हमें अपनी ओर से आवश्यक कार्य करने चाहिए।

All they need is Love & Care

लॉकडाउन के दौरान, यह आवारा जानवर थे जिन्होंने बहुत कुछ झेला था, हालांकि कई व्यक्ति और गैर सरकारी संगठन अभी भी मदद के लिए आगे आए, मदद सभी जानवरों तक नहीं पहुंच सकी, एक इंसान के रूप में हमारी मानवता का कर्तव्य यह है कि हम आवारा जानवर को खाना खिलाएं। जिन लोगों को यह भ्रांति (मिस कंसेप्शन) है कि आवारा कुत्ते खतरनाक होते हैं, यह सभी मामलों में सच नहीं है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जानवरों और पक्षियों के कानूनी अधिकार हैं, जैसे मनुष्य एक असाधारण (एक्सेप्शनल) निर्णय में पशु कल्याण अधिनियम पर बताया गया है। इसने नागरिकों को उनके कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के कर्तव्य के साथ “पशु साम्राज्य के संरक्षक (गार्डियन ऑफ़ एनिमल किंगडम)” के रूप में घोषित किया है।

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एनिमल लवर्स स्ट्रैस फीडिंग लीगल बनाना चाहते है तो वे इंटरनेशनल , नैशनल और लोकल गवर्नमेंट या प्राइवेट NGO ज्वाइन कर सकते है, या फिर फ्रीलांसिंग पर भी उनसे मेंबर आईडी प्राप्त कर अपना सोशल वर्क जारी रख सकते है | निचे हमने उनकी डिटेल्स दी है –

Ngo’s
  1. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया  – https://awbi.gov.in/भारतीय पशु कल्याण बोर्ड पशु कल्याण कानूनों पर एक वैधानिक सलाहकार निकाय है और ‘भारत’ में पशु कल्याण को
  2. पीपल फॉर एनिमल्स, पीएफए – https://www.peopleforanimalsindia.org/भारत का सबसे बड़ा गैर-सरकारी पशु कल्याण संगठन है, जिसके देश भर में 26 अस्पताल, 165 यूनिट, 60 मोबाइल यूनिट और 2.5 लाख सदस्य हैं। आप इसकी मेम्बरशिप भी ले सकते है |
  3. पेटा इंडिया – https://www.petaindia.com/ – मुंबई में स्थित , जिसे जनवरी 2000 में लॉन्च किया गया था। यह इस सरल सिद्धांत के तहत काम करता है कि जानवर हमारे प्रयोग करने, खाने, पहनने, मनोरंजन के लिए उपयोग करने या किसी अन्य तरीके से दुर्व्यवहार करने के लिए नहीं हैं, जबकि नीति निर्माताओं और जनता को भी शिक्षित करते हैं। ये इंटरनेशनल लेवल पर भी है |   आप इसे भी ज्वाइन कर सकते हैं
  4. द सेवियर स्वार्म – https://www.instagram.com/the.saviour.swarm/यह एक लोकल रजिस्टर्ड ग्रुप है 2021 से , जिसकी मेम्बरशिप आप ले सकते है और इससे जुड़कर कई प्रकार की सोशल वर्क कर सकते है, यह बिलकुल फ्री ऑफ़ कॉस्ट है |

CSNN 24 भी आपके साथ है , यदि आप एक सच्चे एनिमल लवर एंड सोशल वर्कर है और किसी मुसीबत में है , या आपकी बात कानून तक नहीं पहुंच रही है तो आप अपनी स्टोरी हमारी आपकी ख़बर सेक्शन में पोस्ट कर सकते है , और अपने कामो से और लोगो को भी मोटीवेट कर सकते है ,पर स्टोरी में काम के सही साबुत होने चाहिए कोई गलत फैक बात या स्टोरी पब्लिश नहीं की जाएगी |

 

 

 

 

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Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

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