
भारत ‘अनेकता में एकता’ का देश है। पूरे विश्व के समक्ष इसकी हकीकत भारतीय त्योहारों से बयां हो जाती है। तभी तो भारत त्योहारों का देश कहलाया है। यहां पूरे साल अलग-अलग त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत में सभी धर्मों के लोग अपने-अपने त्योहार एक साथ मिलजुल कर मनाते हैं चाहें वह हिंदुओं की होली-दिवाली हो, मुसलमानों की ईद हो, सिखों की लोहड़ी हो या फिर ईसाइयों का क्रिसमस हो।आज 8 मार्च 2023 को देशभर में होली के अवसर पर रंग खेला जाएगा।
अगर मैं आपसे यह पुछू कि भारत में होली का त्योंहार कितने प्रकार से मनाते हैं? तो शायद आप का जवाब रहें कि हमने तो सिर्फ दो ही तरीके से सुना हैं। एक तो पानी वाले रंग से और दूसरा तरीका अबीर- गुलाल से जबकि कुछ लोग तो यह कहेंगे कि रंग और गुलाल से लेकिन मैं आज आपको बताउंगी की भारत में होली जैसे प्रसिद्ध त्योंहार को कई तरीके से मनाते हैं –
लट्ठमार होली
ब्रज क्षेत्र के मथुरा का बरसाना लट्ठमार होली के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, तो इसी से सटे हुये राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां में तथा जिला करौली के प्रसिद्ध मंदिर कैला देवी मंदिर में भी लट्ठमार होली का आयोजन होता हैं | हम केवल बरसाना के लट्ठमार होली के बारे में ही जानते हैं, जबकि राजस्थान में भी इस तरह से होली का त्योंहार मनाया जाता हैं।
फूलों की होली
भारत में कई जगह फूलों की भी होली खेली जाती हैं, जैसे कि गुजरात के द्वारका में, ब्रज क्षेत्र के मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर में भी फूलों की होली खेली जाती हैं | इस तरह के होली में रंग और गुलाल के जगह फूलों के पंखुड़ियों को अलग- अलग करके उसे एक दूसरों पर फेंक कर के होली का त्योंहार मानते हैं।
रंग और गुलाल की होली
जब बात होली की हो रही हो तो बिना रंग और गुलाल की बात न हो तो यह त्योंहार अधूरा हैं। जितने भी रूप में होली मनाई जाती हो, उसमें रंग और गुलाल कॉमन हैं। फिर भी इस प्रकार से होली पूरे भारत में एक साथ एक दिन मनाई जाती हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश से बिहार और अधिकतर उत्तर भारत में यह रंगों और गुलालों का पर्व हैं, जब कि दक्षिण भारत से मध्य भारत और उत्तर- पूर्वी क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से इसे मनाते हैं। वैसे तो यह एकदिवसीय त्योंहार में शामिल हैं फिर भी कई स्थानों पर इसे एक से दो दिनों तक मानते हैं। अगर आप मथुरा, वाराणसी, पटना, अयोध्या, दिल्ली, भोपाल जैसे शहरों में जाएंगे तो होली किसे कहते हैं समझ जायेंगे। इलाहाबाद यानी प्रयागराज शहर में होली का पर्व दो दिन मनाया जाता हैं। कुल मिलाकर होली का आनंद इन्ही इलाकों में खूब देखने को मिल जायेगा।
अंगारों की होली
शायद ही आपको यकीन हो कि ऐसे भी होली का त्योंहार मनाया जाता हैं, जिसमें रंग के जगह जलते हुये अंगारों को प्रयोग में लाया जाता हैं। ऐसी होली राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव “बलीचा” में ऐसी होली मनाई जाती हैं, यह गांव आदिवासी समुदाय वाला गांव हैं, जहाँ पर आदिवासी समाज होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह ऐसी होली खेलते हैं, जिसमें- जलते हुए अंगारों पर दौड़ते हुये प्रदर्शन करके अपनी वीरता और साहस का परिचय देते हैं। आज भी होली के पावन अवसर पर अंगारों पर चल कर तथा नाच गाना के साथ इस तरह से होली को मनाते हैं।
पत्थरों वाली होली
इसे ही पत्थरमार होली भी कहते हैं। राजस्थान राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर में छोटे- छोटे पत्थरों से एक दूसरे पर मारते हुये होली का पर्व मनाते हैं। होली के दिन कई टोली बनाकर संगीत और ढोल नगाड़ों के साथ एक जगह इकट्ठा हो कर एक दूसरे पर पत्थर फेंकना शुरू कर देते हैं, जिससे कि अगला व्यक्ति बचने के लिये ढाल रूपी पगड़ी पहनकर या भागकर बचाव करते हैं और इस कला का भरपूर आनन्द लेते हैं। मारने के लिए जो पत्थर लेते हैं, वे कंकड़ होते हैं छोटे- छोटे आकर के ताकि उससे किसी को चोंट न लगे।
उपलों के राख की होली
राजस्थान के ही डूंगरपुर इलाकों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाने वाला गोबर से बने उपले जिसे कंडा भी कहते हैं को जला कर उसका राख बना कर उसे एक दूसरे के ऊपर डाल कर होली का त्योंहार मनाते हैं।
लड्डुओं की होली
इसे लड्डूमार होली भी कहते हैं। मथुरा के वृंदावन और श्री राधारानी के बरसाना में जहाँ एक ओर लट्ठमार होली होती हैं, तो दूसरी ओर बांकेबिहारी मन्दिर में फूलों की होली के साथ ही साथ लड्डू होली भी खेली जाती हैं। इस प्रकार के होली खेलने में रंगों और गुलालों की जगह लोग एक दूसरे को लड्डुओं से मारते हुए यानी एक दूसरे पर लड्डुओं को फेंकते हुये अनोखा होली खेलते हैं। इस प्रकार रंगोत्सव वाले इस होली पर्व को भारत के अनेक स्थानों पर अलग- अलग रूपों में होली को मनाया जाता हैं। अधिकतर ऐसे अनोखी होली उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के कई हिस्सों में देखने को मिलता हैं।
कपड़ा-फाड़ होली
यह होली मुख्यतया बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में प्रसिद्ध हैं। इसमें लोग होली खेलते हुए एक-दूसरे के पहने हुए कपड़े, कुर्ता इत्यादि फाड़ देते हैं। आपने बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव जी को भी कुर्ता-फाड़ होली खेलते हुए टीवी इत्यादि पर देखा होगा।
कीचड़ की होली
यह होली खेलना बहुत लोग पसंद नही करते होंगे लेकिन कुछ लोगों को ऐसे होली खेलने में बहुत आनंद भी आता हैं। इसमें लोगों के बीच एक-दूसरे को कीचड़ में फेंकने की प्रतिस्पर्धा लगी रहती हैं। सभी लोग बुरी तरह से कीचड़ में लोटपोट हो जाते हैं और होली का आनंद उठाते हैं।
टमाटर की होली
आपने स्पेन की होली तो देखी ही होगी जिसमे सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर टमाटर फेंकते हैं और होली खेलते हैं। ठीक वैसी ही होली असम राज्य के गुवाहाटी शहर में भी खेली जाती हैं। इसमें सभी लोग एक जगह एकत्रित होकर एक-दूसरे पर टमाटरों की बरसात कर देते हैं।
बनारस की चिता भस्म होली
यह सुनकर आपको थोड़ा विस्मयी लगेगा लेकिन भगवान शिव की नगरी बनारस में जली हुई चिताओं की राख से होली खेलने का विधान हैं। इस होली को मुख्यतया होरी साधु व अन्य साधु-संत खेलते हैं और एक-दूसरे के शरीर पर जली हुई चिताओं की राख को लगाते हैं। मान्यता हैं कि भगवान शिव अपने भक्तों के साथ यही पर होली का त्यौहार मनाया करते थे और उनके शरीर पर जली हुई चिताओं की राख को मलते थे। बस उसी घटना के परिप्रेक्ष्य में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु वाराणसी आते हैं और जली हुई चिताओं की राख से होली खेलते हैं।