सिंदूर और मंगलसूत्र पर सैलाना विधायक जी का सच….csnn24 exclusive…
कथनी और करनी का अंतर.... देखिए अपने बयान में क्या कह रहे हैं कमलेश्वर डोडियार.... और चित्र कौन सी कहानी बयां कर रहे हैं....एक बार फिर सुर्खियों में कमलेश्वर डोडियार...
(www.csnn24.com) Csnn24 exclusive भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा एवं आदिवासी परिवार के द्वारा गुरुवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात महाराष्ट्र के आदिवासी समाज के लोग एकत्रित हुए तथा भील प्रदेश की मांग को बुलंद किया। यह सम्मेलन सबसे ज्यादा इसलिए सुर्खियों में रहा कि यहां पर आदिवासी परिवार की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने मंच से कहा कि हम हिंदू नहीं है मंगलसूत्र पहनना एवं मांग में सिंदूर भरना हमारे आदिवासी संस्कृति नहीं है और ना ही इसका हिस्सा है। पंडितों को घर बुलाना कथा करना उपवास करना आदि छोड़ो हम प्रकृति के उपासक या पूजा करने वाले हैं। प्रकृति की पूजा करना हमारी संस्कृति है दूसरों की गुलामी को छोड़कर हमें बाहर आना होगा। इस बयान के पश्चात अब एक नई बहस छिड़ गई है। तो वहीं सम्मेलन में उल्टा स्वास्तिक का चिन्ह भी बना हुआ था वह भी चर्चा का विषय रहा इस संदर्भ में सांसद रोत ने कहा कि यह स्वास्तिक हमारी प्रकृति का चिन्ह है आदिवासी समाज के सभी धार्मिक कार्यक्रम घड़ी की सूई की विपरीत दिशा में घूमते हुए होते हैं। जबकि हिंदू रीति रिवाज में घड़ी की दिशा में घूमते हुए सभी कार्य होते हैं।
इस सम्मेलन के पश्चात कमलेश्वर डोडियार ने भी एक बयान जारी करा है कमलेश्वर डोडियार सैलाना से BAP पार्टी के विधायक हैं। कमलेश्वर डोडियार ने भी अपना बयान जारी करते हुए मंगलसूत्र एवं मांग भरने को गलत बताया है। उनका कहना है कि भील जनजाति में मंगलसूत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है और नाही मांग भरी जाती है। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी सवा साल से मंगलसूत्र की मांग कर रही है परंतु मैंने उसे आज तक मंगलसूत्र नहीं दिलाया है। उन्होंने बोला कि मुझे भी मंगलसूत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं थी मेरी पत्नी ने मुझे गहराई से समझाया मंगलसूत्र के बारे में। उन्होंने बोला कि मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि मंगलसूत्र शादीशुदा पत्नी की पहचान होती है परंतु मैं इसके बारे में नहीं जानता था और मैं अपनी पत्नी को मंगलसूत्र नहीं दिलाया है। उन्होंने बोला कि आदिवासी समाज में सिंदूर का उपयोग करना तथा मांग भरना यह परंपरा में अथवा संस्कृति में नहीं है। आदिवासी समाज की अलग संस्कृति है। उन्होंने बोला कि कुछ लड़कियां जो शहर में जाती है कॉलेज में पढ़ती है वह नकल करते हुए मंगलसूत्र का उपयोग करती हैं।
हालांकि हमारे आदिवासी समाज में सिंदूर और मंगलसूत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है।
कमलेश्वर डोडियार का बयान यह तो यहां तक ठीक था परंतु जब उन्होंने बोला कि वह स्वयं मंगलसूत्र और सिंदूर के बारे में नहीं जानते थे तथा उनके द्वारा अपनी पत्नी को सवा साल से मंगलसूत्र नहीं दिलाया है तथा वह सिंदूर का उपयोग नही करते हैं.. परंतु जब csnn24.com ने इसके संदर्भ में अपनी तरफ से कुछ खोजबीन अथवा सर्च करी तो सोशल मीडिया पर कमलेश्वर डोडियार की शादी के दौरान के कुछ चित्र csnn24.com को प्राप्त हुए। जिसमें कमलेश्वर डोडियार स्वयं अपनी पत्नी को मांग में सिंदूर भरते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनकी पत्नी अंजलि डोडियार के द्वारा भी अपनी प्रोफाइल पर कुछ फ़ोटो शेयर की गई है उसमें उन्होंने मंगलसूत्र के साथ-साथ मांग में सिंदूर भी भर रखा है। अब प्रश्न उठता है कि विधायक जी की कथनी और करनी में अंतर क्यों है? एक तरफ वह जानकारी रहे हैं कि उनको मंगलसूत्र के बारे में जानकारी नहीं दूसरी तरफ सिंदूर का विरोध कर रहे हैं और अपनी शादी में वह बिल्कुल उसका उपयोग करते हुए नजर आ रहे हैं। अब उनका यह संदेश समाज में कितना कारगर सिद्ध होता है यह तो वक्त ही बताएगा हालांकि जब उनके द्वारा अपनी शादी का फोटो शेयर किया गया था तो उन्हीं के समाज के एक व्यक्ति के द्वारा सोशल मीडिया पर यह भी लिखा गया था कि….#जोहार कमलेश्वर डोडियार दादा हम आपके व्यक्तिगत विरोधी नही है पर वैचारिक मतभेद रखते है
क्योंकि आपके संस्कृतिक मामला नही अपनाने के नतीजे पूरे सामाजिक मिशन को भुगतना पड़ता है बस इसलिए आपकी हर गलती का कटाक्ष करते है और ऐसी स्थिति पर करते रहेगें
हम राजनिति एकता में विश्वास नहीं करते है बल्कि सामाजिक, वैचारिक, सांस्कृतिक एकता में विश्वास करते है जोहार जय बिरसा मुण्डा।
अब इस संदर्भ में एक नई बहस ने जन्म ले लिया है और देखना है कि कमलेश्वर डोडियार की इस अपील का कितना असर समाज पर और कितना असर उनकी इस दोहरी नीति का सामने आता है। क्योंकि कमलेश्वर डोडियार एक जिम्मेदार नागरिक होने के साथ-साथ सैलाना से विधायक भी हैं तथा हजारों लाखों लोग इन पर विश्वास करते हैं और यदि कमलेश्वर स्वयं इस प्रकार का उदाहरण अपने समर्थकों के सामने रखेंगे तो निश्चित ही उनके मन में पीड़ा उत्पन्न होगी।
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