शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हैं ? जानिए कलश स्थापना और पूजन का शुभ मुहूर्त
शरद नवरात्रि 15 अक्टूबर, 2023 को शुरू होने वाली है और 24 अक्टूबर, 2023 को दशमी के साथ समाप्त होगी
(www.csnn24.com) रतलाम शरद नवरात्रि का त्यौहार नजदीक है और इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं और लोगों के बीच उत्साह देखते ही बन रहा है| यह नौ दिवसीय त्योहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है, दुर्गा पूजा को सेलीब्रेट किया जाता है| इस त्योहार के दौरान, जिसे शारदीय नवरात्रि या महा नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है, भक्त देवी दुर्गा और उनके नौ अवतारों को पूजा-अर्चना करते हैं| दसवें दिन को ‘दशमी’ के रूप में मनाया जाता है| बता दें कि साल में चार नवरात्रि होती हैं, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती है| इस साल, शरद नवरात्रि 15 अक्टूबर, 2023 को शुरू होने वाली है और 24 अक्टूबर, 2023 को दशमी के साथ समाप्त होगी |
नवरात्रि 9 दिन तक क्यों मनाई जाती है
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है और आखिरी दिन विजयादशमी / दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान राम ने लंकापति रावण को और देवी दुर्गा ने महिषासुर को मारकर विजय प्राप्त की थी | एक कथा के अनुसार, माता भगवती देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया उसके बाद नवमी की रात्रि को उसका वध किया| उस समय से देवी माता को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है| तभी से मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित नवरात्रि का व्रत करते हुए इनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है|
शारदीय नवरात्रि में व्रत का महत्व
नव का शाब्दिक अर्थ है नौ और नया| शारदीय नवरात्रि से प्रकृति सर्दी की चाहर में सिकुड़ने लगती है| ऋतु में परिवर्तन होने लगता है| यही वजह है कि नवरात्रि की अवधि में उपासक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगाते हैं और स्वंय को भीतर से शक्तिशाली बनाते हैं| इससे ऋतु परिवर्तन का बुरा असर उसकी सेहत पर नहीं पड़ता| इसके साथ ही मां दुर्गा की पूजा पूर्ण शुद्धि के साथ संपन्न कर पाते हैं|
शारदीय नवरात्रि में ‘रात्रि’ पूजा का महत्व
नवरात्रि की 9 रातें बहुत खास मानी जाती है| कहते हैं इसमें व्यक्ति व्रत, पूजा, मंत्र जाप, संयम, नियम, यज्ञ, तंत्र, त्राटक, योग कर नौ अलौकिक सिद्धियां प्राप्त कर सकता है| पुराणों के अनुसार रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं| रात्रि का समय शांत रहता है, इसमें ईश्वर से संपर्क साधना दिन की बजाय ज्यादा प्रभावशाली है| रात्रि के समय देवी दुर्गा की पूजा से शरीर, मन और आत्मा| भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है|
शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त
इस साल 15 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्तसुबह 11 बजकर 44 मिनट सेदोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना की अवधि 46 मिनट की है।
नवरात्रि की 9 शक्तियां
नवरात्रि दिन 1 प्रतिपदा, कलश स्थापना : 15 अक्टूबर 2023 – मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि दिन 2, द्वितीया 16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्रि दिन 3, तृतीया : 17 अक्टूबर 2023 – मां चन्द्रघंटा की पूजा
नवरात्रि दिन 4, चतुर्थी: 18 अक्टूबर 2023 – मां कूष्मांडा की पूजा
नवरात्रि दिन 5, पंचमी : 19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि दिन 6, षष्ठी : 20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी की पूजा
नवरात्रि दिन 7, सप्तमी : 21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि दिन 8, अष्टमी : 22 अक्टूबर 2023 – मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्रि दिन 9, अष्टमी : 23 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी की पूजा नवरात्रि व्रतपारण
विजया दशमी (दशहरा ) : 24 अक्टूबर 2023
कलश स्थापना विधि
1. अनाज बोने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन, जिसका उपयोग कलश रखने के लिए किया जाएगा लें। गमले में मिट्टी की पहली परत फैलाएं और फिर अनाज के बीज फैलाएं। एं अगर जरूरी हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए गमले में थोड़ा पानी डालें।
2. अब कलश की गर्दन पर पवित्र धागा बांधें और गर्दन तक पवित्र जल भरें। जल में सुपारी, गंध, दूर्वाघास, अक्षत और सिक्के डालें। कलश को ढक्कन से ढकने से पहले कलश के किनारेपर अशोक की 5 पत्तियां रखें।
3. अब बिना छिले नारियल को लें और इसे लाल कपड़े के अंदर लपेट लें। नारियल और लाल कपड़े को पवित्र धागे से बांध लें।
4. अब तैयार किए गए नारियल को कलश के ऊपर रखें। अंत में कलश को अनाज के बर्तन के बीच में रखें। अब हमारे पास देवी दुर्गाका आह्वान करने के लिए कलश तैयार है।
शारदीय नवरात्रि व्रत नियम
1. व्रती व्यक्ति को पलंग या गद्दे पर सोने के बजाए जमीन पर सोना चाहिए।
2. व्रत करने वाले व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए। मन में किसी के लिए पाप नहीं लाना चाहिए।
3. उपवास करने वाले जातक को ब्रह्मचर्यका पालन करना चाहिए।
4. व्रत करने वाले जातक को तामसी भावनाओं का त्याग करना चाहिए। नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित का पहला नियम यह है कि ज्योति की देखरेख के लिए कोई ना कोई उसके पास जरूर होना चाहिए |