Hanuman Janmotsav 2025 : 12 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव
जानिए पूजा का शुभ मुहुर्त और धार्मिक महत्व

www.csnn24.com| वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में हनुमान जी को कलयुग का देवता माना गया है और ये आज भी इस पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों में हनुमान जयंती जिसे जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है उसका विशेष महत्व होता है।
हनुमान जन्मोत्सव 2025 तिथि
पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि पर बड़े ही धूम-धाम के साथ महाबली और महाप्रतापी हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल 2025 को सुबह 03 बजकर 20 मिनट से होगी जो अगले दिन यानी 13 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदयातिथि के आधार पर हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को है।
हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा का शुभ मुहूर्त 2025
सुबह पूजा करने के लिए 07 बजकर 35 मिनट से लेकर 09 बजकर 11 मिनट तक।
शाम के समय पूजा करने लिए 06 बजकर 45 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 08 मिनट तक।
हनुमानजी की पूजा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं और यह आठ चिरंजीवियों में से एक हैं, जो आज भी इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त हनुमान जी पूजा-आराधना सच्चे मन और लगन से करता है उसकी हर एक मनोकामना जरूर पूरी होती है। सच्चे मन से हनुमानजी की पूजा करने पर व्यक्ति की हर एक मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद उनसे मिलता है। हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान के दर्शन करते हुए चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना बहुत ही लाभकारी साबित होता है। इन दिन हनुमान का प्रिय भोग उनके अर्पित करना चाहिए। उनको पान का बीड़ा, तुलसी के पत्ते, बेसन के लड्डू, बूंदी और सिंदूर चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है।
हनुमानजी को फिर से ऐसे मिला था नया जीवन
हनुमान जी की दो जयंती मनाई जाती हैं। एक उनके जन्मदिन के रूप में और दूसरी विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में। हनुमानजी जन्म से ही शक्तिशाली थे। उन्होंने एक बार सूर्य को फल समझकर खाने की कोशिश की। इंद्र ने उन्हें रोकने के लिए प्रहार किया जिससे वे मूर्छित हो गए। हनुमानजी को पवन पुत्र भी माना जाता है। इससे पवनदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने हवा रोक दी। फिर पूरे ब्रह्मांड में संकट आ गया। देवताओं की प्रार्थना के बाद ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को दूसरा जीवन दिया। देवताओं ने उन्हें अपनी शक्तियां भी दीं। जिस दिन हनुमान जी को दूसरा जीवन मिला, वह चैत्र मास की पूर्णिमा थी इसलिए इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। वहीं, पौराणिक कहानियों के अनुसार माता सीता और श्रीराम ने हनुमानजी को चिंरजीवी होने का वरदान दिया था, इसलिए हनुमान जयंती कार्तिक माह में भी मनाई जाती हैं।
भगवान हनुमान को अमर क्यों माना जाता है ?
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को एक चिरंजीवी (अमर) देवता के रूप में पूजा जाता है | मान्यता है कि वे आज भी पृथ्वी पर उपस्थित हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं | उन्हें राम भक्त, संकटमोचन और बजरंगबली जैसे अनेक नामों से जाना जाता है| हनुमान जी की भक्ति और शक्ति के कारण हिंदू धर्म में उनकी पूजा का विशेष महत्व है|
हनुमान जयंती दो बार मनाई जाती है
पहली हनुमान जयंती- इसे हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को आती है| इसे हनुमान जन्मोत्सव कहा जाता है |
दूसरी हनुमान जयंती- इसे विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो चैत्र पूर्णिमा के दिन होती है| इस दिन भगवान हनुमान को नया जीवन प्राप्त हुआ था |