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पौराणिकी

भारत के 10 प्रसिद्ध शिव मंदिर

जाने अनसुनी कहानी और उनके अनसुलझे रहस्य

Publish Date: February 17, 2023

भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक देश हैं। यह विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां हर वर्ग और समुदाय के लोग शांतिपूर्वक रहते हैं। यहां की भगौलिक स्थिति, जलवायु और विविध संस्कृति को देखने के लिए ही विश्व के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचते हैं| भारत की प्राचीनतम मंदिरों की बनावट, विशेषता, महत्व और इतिहास आदि जानने के लिए ही पर्यटक बार-बार भारत की ओर रुख करते हैं। इनमें से कई मंदिर तो ऐसे भी हैं जो कई हजारों साल पुराने हैं और जिनके बारे में जानना पर्यटकों के लिए कौतुहल का विषय है।

इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो वास्तु से है, न खगोल विज्ञान से और न ही खजाने से इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई जान पाया है। ऐसे ही आज हम आपको बताते हैं 10 शिव मंदिरों के बारे में  –

1. कैलाश मानसरोवर : 

यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे मेरू पर्वत स्थित है। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है। कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है, जो चार धर्मों- तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केंद्र है। कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज व करनाली।

2. सोमनाथ मंदिर :

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था, लेकिन आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। माना जाता है कि 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इस स्थान को सबसे रहस्यमय माना जाता है। यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान था। इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

3. उज्जैन का काल भैरव मंदिर :

ये भगवान शिव के भैरव स्वरुप का मंदिर है , हालांकि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।

4. शिव मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश):

आपको जानकार हैरानी होगी कि इस मंदिर का निर्माण किसी पहाड़ या समतल जगह पर नहीं किया गया है। बल्कि यह मंदिर पानी पर बना है। कहने का अर्थ है कि यह शिव मंदिर आंशिक रूप से नदी के जल में डूबा हुआ है| बगल में ही सिंधिया घाट, जिसे शिन्दे घाट भी कहते हैं, इस मंदिर की शोभा बढ़ाता है। इस मंदिर में आध्यात्मिक कार्य नहीं होते और यह फिलहाल बंद है। इस मंदिर के बारे में जानने के लिए आज भी लोग जिज्ञासा रखते हैं।

5.  टूटी झरना मंदिर :

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर बेहद अद्भुत है क्योंकि यहां शिवलिंग का जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां गंगा करती हैं |झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित टूटी झरना नामक इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीसों घंटे स्वयं मां गंगा द्वारा किया जाता है। मां गंगा द्वारा शिवलिंग की यह पूजा सदियों से निरंतर चलती आ रही है। शिव भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में आकर अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से कुछ मांगता है उसकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार वर्ष 1925 में अंग्रेजी सरकार ने इस स्थान पर रेलवे लाइन बिछाने के लिए खुदाई का कार्य आरंभ किया, तब उन्हें जमीन के अंदर कोई गुंबद के आकार की चीज नजर आई। गहराई पर पहुंचने के बाद उन्हें पूरा शिवलिंग मिला और शिवलिंग के ठीक ऊपर गंगा की प्रतिमा मिली जिसकी हथेली पर से गुजरते हुए आज भी जल शिवलिंग पर गिरता है। यही वजह है कि यह रहस्यमय मंदिर आज भी आस्था का केन्द्र बना हुआ है। महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को मारकर जीत तो हासिल कर ली थी लेकिन जीत मिलने के बाद वह प्रसन्न नहीं बेहद दुखी रहने लगे क्योंकि उन्हें प्रतिदिन अपने संबंधियों की हत्या का गम सताता रहता था और वह कुछ भी कर इस पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। पश्चाताप की आग में जलते हुए पांचों भाई श्रीकृष्ण की शरण में गए। कृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और काला ध्वज दिया, साथ ही उनसे कहा कि ‘जिस स्थान पर गाय और ध्वज का रंग सफेद हो जाए उस स्थान पर शिव की अराधना करना, ऐसा करने से तुम्हें पाप से मुक्ति मिलेगी’। पांडवों ने ऐसा ही किया और वे स्थान-स्थान भ्रमण करते रहे। अचानक एक स्थान पर जाकर गाय और ध्वज, दोनों का रंग सफेद हो गया। इसके बाद कृष्ण के कहे अनुसार उन्होंने वहां शिव की अराधना शुरू की।पांडवों की आराधना से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने पांचों भाइयों को अलग-अलग अपने लिंग रूप में दर्शन दिए। गुजरात की भूमि पर अरब सागर में इसी स्थान पर निष्कलंक महादेव का मंदिर स्थापित है।

 6. रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर :

हिंदुओं की आस्‍था का केंद है. यह पूरी बहुत प्रसिद्ध हैं| इस मंदिर की गाथाएं राम से जुड़ती हैं. माना जात है कि जब राम रावण रावण युद्ध के दौरान जब एक ब्राह्मण की मृत्यु हो गई तो राम ने पाप से बचने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया| राम ने हनुमान से दुनिया का सबसे बड़ा शिव लिंगम लाने को कहकर उन्हें हिमालय की ओर भेज दिया. यह मंदिर स्‍थापत्‍य कला का सुंदर नमूना है|

7. गढ़मुक्‍तेश्‍वर :

गढ़मुक्‍तेश्‍वर स्थित प्राचीन गंगा मंदिर का भी रहस्‍य आज तक को ई समझ नहीं पाया है। मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग पर प्र‍त्‍येक वर्ष एक अंकुर उभरता है। जिसके फूटने पर भगवा न शिव और अन्‍य देवी -देवताओं की आकृति यां नि कलती हैं। इस विषय पर काफी रिसर्च वर्क भी हुआ लेकि न शिवलिंग पर अंकुर का रहस्‍य आज तक कोई समझ नहीं पाया है। यही नहीं मंदिर की सीढ़‍ियों पर अगर कोई पत्‍थर फेंका जाए तो जल के अंदर पत्‍थर मारने जैसी आवाज सुनाई पड़ती है। ऐसा महसूस होता है कि जैसे गंगा मंदिर की सीढ़‍ियों को छूकर गुजरी हों , यह किस वजह से होता है यह भी आज तक कोई नहीं जा न पाया है।

8. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर :

गुजरात की राजधानी से 150 किलोमीटर दूर की जगह पर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नाम का प्राचीन शिव मंदिर मौजूद है। भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर अरब सागर के कैम्बे तट पर मौजूद है और इस मंदिर की खास बात यह है की समुन्द्र किनारे मौजूद होने के कारण ये मंदिर दिन में 2 बार पूरी तरह समुन्द्र में गायब हो जाता है। दरअसल यह घटना चमत्कार नहीं बल्कि प्राकृतिक है क्यूंकि ज़ब समुन्द्र में ज्वार भाटा आता है तो समुद्र में पानी का स्तर बढ़ जाता है और मंदिर पूरी तरह समुन्द्र में डूब जाता है। यहाँ दिन में दो बार सुबह और शाम के समय ज्वार भाटा आता है और मंदिर पानी में गायब हो जाता है, भक्त भगवान शिवजी के दर्शन के लिए लम्बी कतारों में खडे होकर पानी के हटने का इंतजार करते है और मंदिर में जाते समय सभी भक्तों को ज्वार भाटा आने का समय भी बताया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि शिवजी के बेटे कार्तिकेय जी को ज़ब ताड़कासुर राक्षस का वध करने के बाद पता चला कि वह भगवान शिव का परम् भक्त है तो कार्तिकेय जी को बेहद दुख हुआ और इसका प्रायश्चित करने के लिए भगवान विष्णु जी के कहने पर कार्तिकेय ने वध किये गए स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया और उसी जगह पर आज ये मंदिर बनाया गया है।

बिजली महादेव मंदिर मनाली से लगभग 60 किलोमीटर और कुल्लू से 30 किलोमीटर दूर पहाड़ की चोटी पर समुद्र तलसे 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ऊंचाई पर मौजूद होने की वजह से यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत लगता है जहां से कुल्लू, मणीकर्ण, पार्वती और भुंतर घाटी दिखाई देती है लेकिन खूबसूरत होने की साथ ही यह मंदिर रहस्यमयी और चमत्कारिक भी है क्यूंकि इस मंदिर पर हर 12 साल बाद अकाशीय बिजली गिरती है और इसीलिए वजह से इस मंदिर को बिजली महादेव नाम दिया गया है। बिजली मंदिर की शिवलिंग की ऊपर गिरती है जिससे शिवलिंग कई हिस्सों में टूट कर बिखर जाता है और मंदिर का पुजारी सभी टुकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें मक्खन से जोड़कर दोबारा ठोस रूप देता है। मक्खन से बने होने की कारण इसे मक्खन महादेव भी कहा जाता है। इस मंदिर पर होने वाले व्रजपात की पौराणिक कहानी स्थानीय लोग बताते है कि प्राचीन काल में इस जगह पर कुलांत नाम का दैत्य रहा करता था और एक दिन उसने एक विशाल अजगर का रूप ले लिया और ब्यास नदी में कुंडली मार कर बैठ गया ताकि वह पूरी घाटी को जल में डुबो कर खत्म कर सके। इसके बाद भगवान शिव भक्तों की रक्षा के लिए आये और अपने त्रिशूल से अजगर का वध किया और लोगों कि जान बचायी, माना जाता है कि रोहतांग से मंडी तक फैले पहाड़ कुलांत अजगर का ही शरीर था जो उसकी मौत के बाद पहाड़ में बदल गए। कुलांत की मौत के बाद भी ज़ब स्थानीय लोगों का डर नहीं गया तो शिवजी कुलांत के माथे पर यानि पहाड़ की छोटी पर ही बस गए और बारिश के देव इंद्र को आदेश दिया कि कुल्लू वासियों पर आने वाले सभी संकट को बिजली के रूप पर उनके ऊपर गिराना और माना जाता है तभी से कुल्लू घाटी के सभी संकट भगवान शिव अपने ऊपर सहते है।

10. ऐरावतेश्वर मंदिर :

ऐरावतेश्वर मंदिर तमिलनाडु के कुंभकोणम में मौजूद एक हिन्दू मंदिर है जिसे 12वीं सदी में Chola के राजाओं ने बनाया था और यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है। इस मंदिर की खास बात इसकी सीढियाँ है जिन्हें इस तरीके से बनाया गया है कि इनपर कदम रखने पर इनसे मधुर संगीत की अलग अलग ध्वनि सुनाई देती है। ये ध्वनि क्यों आती है और इसके पीछे का कारण क्या है इसका साफ पता आज तक नहीं चल पाया है। साल 2004 में इस मंदिर को UNESCO के World Heritage Site में भी जगह दी गयी थी।

 

 

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Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

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