काजल की कोठरी में उजला चांद हैं डॉ. पांडेय..
पं. नेहरू के खास सीएम को चुनाव हराकर देश भर में सनसनी मचाने वाले नेता की पुण्यतिथि पर विशेष ..
पं. नेहरू के खास सीएम को चुनाव हराकर देश भर में सनसनी मचाने वाले नेता की पुण्यतिथि पर विशेष
19 may
काजल की कोठरी में उजला चांद हैं डॉ. पांडेय
कहा जाता है कि राजनीति काजल की कोठरी होती है, लेकिन विरले ही होते है जो इससे बेदाग निकलते हैं। वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी केवल राजनैतिक दल नहीं वरन निचले तबके के उत्थान के प्रयास को सफल बनाने को बनी एक संगठित सोच है। ऐसी ही सोच को लेकर जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में अहम किरदार निभाने वाले पूर्व सांसद व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय हैं, जो राजनीति में शुचिता के प्रतीक माने जाते हैं।
रतलाम जिले के छोटे से गांव सूजापुर में जन्मे डॉ पांडेय ने राजनीतिक जीवन की शुरूआत चर्चित घटनाक्रम से की। उन्होंने लोकसभा के पहले विधानसभा का चुनाव लड़ा था। सामने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, उस समय के देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के खास माने जाने वाले डॉ कैलाश नाथ काटजू को पराजित कर दिया। इस परिणाम ने डॉ पांडेय को पूरे देश में चर्चित कर दिया और जनसंघ को भी एक नई पहचान दिलाई। इस घटनाक्रम का कांग्रेस की राजनीति में भी गहरा असर हुआ। चुनाव में पराजित होने के बाद डॉ काटजू कभी भी वापस लौटकर जावरा नहीं पहुंचे। स्वंय पंडित नेहरू चुनाव परिणाम से आश्चर्यचकित हुए। बीबीसी ने अपने समाचार में विशेष जिक्र किया। सत्ताधारी मुख्यमंत्री की पराजय देश की पहली ऐसी पराजय थी। डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय ने इस सफल शुरूआत के बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को डॉ पांडेय के रूप में एक ऐसा साथी व सहयोगी मिला जो मालवा क्षेत्र में जनसंघ व भाजपा की जड़े मजबूत कर वटवृक्ष बनाने में अहम किरदार निभाता रहा। डॉ. पांडेय ने 1971 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और मंदसौर नीमच लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में किया। उसके बाद डॉ पांडेय ने आठ बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए संसदीय क्षेत्र को विकास कार्यों की कई सौगाते दिलाईं।
मालवा का गांधी
सहज, सरल व सौम्य स्वभाव के धनी डॉ पांडेय क्षेत्र में इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें मालवा का गांधी के नाम से बुलाया जाता है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे ,प्यारेलाल खंडेलवाल, सुंदर सिंह भंडारी, भैरो सिंह शेखावत जैसे वरिष्ठ के समकालीन रहे डॉ पांडेय भी गांव-गांव जाकर साइकिल, तांगे व दुपहिया वाहनों से संगठन को मजबूती दिलाने और कार्यकतार्ओं की फौज को तैयार करने में कड़ी मेहनत की। फलस्वरूप मंदसौर ,नीमच ,रतलाम ,उज्जैन,शाजापुर, धार, देवास में राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत होकर एक ऐसा क्षेत्र बन गया जहां राष्ट्रीय विचारधारा की जड़े फेल सी गई।
विकट परीस्थिति में भी थामी राष्ट्रवाद की लौ
आपातकाल के दौर में अन्य नेताओ के साथ डॉ पाण्डेय भी जेल गए, लेकिन इस बुरे दौर के बाद मजबूती से उभर कर आए। उस समय की कांग्रेस सरकारों के जनविरोधी कार्यो का विरोध करना भी जोखिम भरा कार्य था। सरकारों के खिलाफ आवाज उठाना अपराध मानकर कार्यवाही की जाती थी। ऐसी विकट परिस्थितियों के बीच कार्यकर्ताओ का मनोबल बढाकर निरन्तर संगठन को सशक्त बनाने के जटिल कार्य को बखूभी निभाने के प्रयास में डॉ पांडेय सफल रहे। जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी के सफर में डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय का अभूतपूर्व योगदान भी माना जाता है।
23 से ज्यादा देशों में किया भारत का प्रतिनिधित्व
सांसद के रूप में क्षेत्र को रेलवे, दूरसंचार, सड़क, पेयजल व्यवस्था, औद्योगिक क्षेत्र ,ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय स्वीकृति दिलाने में सफल रहे। डॉ पांडेय ने अपनी विद्वत्ता और कार्यकुशलता से एक विशिष्ट पहचान बनाई। वे विदेश व रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभिन्न स्थायी समितियो के सभापति रहे। इसके अलावा लोकसभा अध्यक्षयीय पैनल में लंबे समय तक सदस्य रहकर लोकसभा का संचालन किया। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में 23 देशों की यात्रा की। विश्व हिंदी सम्मेलन व सीपीए सम्मेलन में भी भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया।
प्रदेश में किया पार्टी का विस्तार
कुशल संगठक के रूप में विख्यात डॉ पांडेय म.प्र. भारतीय जनता पार्टी के सफल प्रदेश अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल में ही प्रदेश कार्यालय का शुभारंभ हुआ था, जो देश के सबसे उत्कृष्ट भाजपा कार्यालयों में जाना जाता रहा। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पूरे प्रदेश का दौरा और पार्टी विस्तार किया। कांग्रेस सरकार में विपक्षी दल के रूप भाजपा संघर्ष कर रही थी। ऐसे दौर में संगठन को सशक्त करने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाने वाले डॉ पांडेय ने वर्तमान के कई नेताओं को राजनैतिक जीवन की शुरूआत कराने और विधानसभा में टिकिट देकर विश्वास जताने का भी कार्य किया। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उस समय डॉ पांडेय के निवास पर संगठन की मन्त्रणा किया करते थे। इस कार्यकाल में मुरलीमनोहर जोशी के साथ जम्मू कश्मीर में आंदोलन का हिस्सा भी बने।
पद और प्राप्ति भाव से दूर
वर्तमान राजनीतिक में भाजपा भी नए कलेवर के साथ देश व प्रदेश में उभर कर स्थापित हो गई। पार्टी को इस स्थिति में खड़ा करने में एक स्तम्भकार के रूप में डॉ पांडेय ने अहम जिम्मेदारी निभाई। राजनैतिक कार्यकाल में मंत्री जैसे पद से सुशोभित नहीं होने का मलाल डॉ पांडेय को कभी नही रहा। ऐसा ही स्वभाव उनके पुत्र विधायक डॉ राजेन्द्र पांडेय में का भी है। 1998 से जावरा क्षेत्र से भाजपा के रूप में चुनाव लड़ रहे राजेन्द्र पांडेय ने तीन चुनाव में विजय होकर परम्परागत कांग्रेस सीट को भाजपा की विचारधारा में परिवर्तित कर दिया। रतलाम, मंदसौर व नीमच के अलावा म.प्र व राजस्थान निश्चित रूप से भाजपा के गढ़ माने जाते हंै। इसके पीछे डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय जैसे व्यक्तित्व की मेहनत,त्याग व संगठन के प्रति समर्पण है। 19 मई 2016 में डॉक्टर पांडेय का अवसान हुआ
ऐसे कर्मठ योद्धा को उनकी पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि।
– एमपी गोस्वामी, अध्यक्ष, रतलाम प्रेस क्लब