9 अप्रैल 2024 से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, 9 दिनों तक चलेंगे व्रत
इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, जानें पूजा और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

www.csnn24.com| चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 9 अप्रैल को भारतीय नव संवत्सर 2081 का आगाज होगा| इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि, कुमार योग और अमृत सिद्धि योग और रेवती व अश्विनी नक्षत्र में वासंती नवरात्र भी शुरू होंगे| मध्याह्न में अभिजीत मुहूर्त घर और मंदिरों में घट स्थापना होगी और मंदिरों में रामचरितमानस व दुर्गा सप्तशती के पाठ शुरू होंगे|
त्योहारों की एक रंगीन श्रृंखला
इस सप्ताह, त्योहारों की एक रंगीन श्रृंखला सामने आती है, जिनमें से प्रत्येक विविध संस्कृतियों और परंपराओं की झलक पेश करता है। 9 अप्रैल को, चैत्र नवरात्रि, देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ दिवसीय हिंदू त्योहार शुरू होता है, जो उगादी, गुड़ी पड़वा, चेटी चंद (झूलेलाल जयंती), और चेइराओबा (साजिबू नोंगमा पानबा) के साथ मेल खाता है, जो विभिन्न तरीकों से नए साल का प्रतीक है। अद्वितीय रीति-रिवाजों और उत्सवों वाले क्षेत्र।
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
- चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ- 9 अप्रैल 2024
- कलश स्थापना मुहूर्त – सुबह 06.02 – सुबह 10.16
- अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.57 – दोपहर 12.48
चैत्र नवरात्रि 2024 में ये है माता की सवारी
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल मंगलवार के दिन से है, साथ ही इसी दिन से नव संवत्सर यानि हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होगी। शास्त्रों के अनुसार जब भी मंगलवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता का वाहन अश्व यानि घोड़ा होता है। घोड़े को गति, युद्ध और ऊर्जा आदि का कारक माना गया है। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भी घोड़ा माता की सवारी होता है तो देश-दनिया में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिलती है। साथ ही यह प्राकृतिक आपदाओं का भी संकेत माना गया है। यानि की घोड़े पर माता का सवार होकर आना बहुत शुभ नहीं होता। आइए अब जानते हैं कि घोड़े पर माता का सवार होकर आना किन राशियों के लिए शुभ रहेगा और किन राशियों के जीवन में चुनौतियां आएंगी।
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व
चैत्र नवरात्रि का महत्व बहुत उत्कृष्ट है। यह हिंदू धर्म में एक प्रमुख उत्सव है जो नौ दिनों तक चलता है। यह पर्व नौ रातों और दस दिनों तक मां दुर्गा की पूजा का महत्वपूर्ण समय है। इस अवसर पर हिंदू धर्म के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जैसे कि दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती।
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों का अपना अलग-अलग महत्व है। प्रत्येक दिन को एक देवी को समर्पित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। पहले तीन दिनों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है, जब वे मां शक्ति के रूप में पूजित की जाती हैं। चौथे और पांचवें दिनों में मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक हैं। अंतिम चार दिनों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है, जो ज्ञान और कला की देवी हैं।
चैत्र नवरात्रि का उत्सव हिंदू समाज में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से मां दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पर्व सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है, जब लोग साथ मिलकर नवरात्रि के उत्सव का आनंद लेते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा, यह उत्सव हमें त्याग, ध्यान, और तप का आदर्श सिखाता है, जो हमें सच्चे मन से देवी की पूजा में लगाने के लिए प्रेरित करता है।
क्या प्रकार की पूजा नवरात्रि में की जाती है?
नवरात्रि महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार की पूजा और आराधना की जाती है, जो माता दुर्गा की महिमा और शक्ति के प्रतीक है। यहां नवरात्रि में कुछ प्रमुख पूजा पद्धतियों का विवरण है: