रतलाम शहर में श्रीनगर कॉलोनी में बेजुबान को जान से मार डाला
क्यों मार डाला इसका कारण दिया जा रहा है कि इस बेजुबान ने बच्चों को काटा था
(www.csnn24.com)|रतलाम| मासूमों को काटा, लोगो को काटा …ये सबसे बड़ी हाईलाइट रहती है हर न्यूज़ की । पर उस मासूम को मार डाला पिट कर , कहि एसिड फेकना , कहि जलाना , कहि डंडो से या पथर से मारना ये सब हाईलाइट क्यो नही !? लोगों का बरताव भी जानवरो के प्रति बहुत गलत है ! चाहे गाय हो या कुत्ते या अन्य जानवर ।
रतलाम शहर में श्रीनगर कॉलोनी में बेजुबान को जान से मार डाला | क्यों मार डाला इसका कारण दिया जा रहा है कि इस बेजुबान ने बच्चों को काटा था इसलिए उसको पकड़वाने की कोशिश की गयी नहीं हुआ तो उसे पीटा , और फिर उस बेजुबान को जिंदा जलाने की कोशिश की गई | इतना पीटा की उसकी जान निकल गयी | इसका विरोध करने जब कुछ लोग पहुचे थो वहां के पार्षद नेता ने उनको धमकी दी कि ज्यादा बोलोगे थो तुम्हारे घर को बुलडोज़र से तोड़ दिया जाएगा | नगर निगम को फोन लगाया था लोगों ने तो एक कर्मचारी ने गाड़ी भेजने से मना कर दिया, गाड़ी 2 घंटे देरी से पहुंची ये भी क्षेत्रवासियों की शिकायत है।
अब ये कहा का कानून हुआ ? कही भी कोई भी कानून इतनी इज़्ज़ज़त नहीं देता कि आप किसी बेजुबान को जान से ही मार दो ! मोके पर नगर निगम की गाड़ी को पहुंचने में 2 घंटे देर हुई तो जनता ने कानून खुद हाथ में ले लिया और अभी तक रतलाम पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की । सब बिकाऊ मीडिया व अख़बार में कुत्तो को विलन बता कर न्यूज़ छापी गयी , उस बेजुबान का कहि ज़िक्र नहीं जिसकी निर्मम हत्या हुई ?
रतलामवासीयो को मेरा यही कहना है कि चुनावी दौर में पुलिस या नेता ढोंग ना करे अगर काम करना ही है तो बदलाव लाये , बेज़ुबानों की भी सोचे ! आये दिन ऐसे अपराध बढ़ रहे हे , पशु प्रेमियों को सरंक्षण नहीं है | एनिमल लॉज़ का कोई पालन नहीं है अगर प्रशाशन भूल गया है तो याद दिला दे सुप्रीम कोर्ट के आदेश व् कुछ प्रमुख नियम –
आईपीसी की धारा 428, 429 और पीसीए एक्ट की धारा 11 के तहत गली के आवारा कुत्तों को मारना दंडनीय अपराध है। ज्यादा से ज्यादा इनकी रोकथाम के लिए नसबंदी की जा सकती है। सरकार की नीति और एनिमल बर्थ कंट्रोल 2011 के तहत जिस क्षेत्र में इन आवारा कुत्तों का आतंक है, वहां इनकी नसबंदी के बाद उसे वापस भेजा जाएगा और इन्हें मारा नहीं जा सकता व् इनके रेजिडेंशियल एरिया से इन्हें कोई बेघर नहीं कर सकता स्पेशली प्रेग्नेंट डॉग्स व् उनके बच्चो को । हाईकोर्ट ने भी इसके बाबत निर्देश जारी किया है। अगर कोई इन आवारा कुत्तों या मवेशियों को परेशान करेगा या मारने की कोशिश करेगा तो इसकी शिकायत पुलिस थाने में भी की जा सकेगी।
कुत्तों समेत किसी भी आवारा जानवर को छेड़ना या उसके साथ बुरा व्यवहार करना अपराध है. इसका मतलब है कि किसी कुत्ते की उपेक्षा करना या उसका दुरुपयोग करना अवैध है| ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी | भारत में कुत्ते ही नहीं किसी भी स्वस्थ आवारा पशु को मारना भारतीय दंड संहिता के तहत अवैध है| आवारा कुत्तों को भी पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत संरक्षित किया जाता है| संविधान के अनुच्छेद 48ए में कहा गया है कि राज्य को वनों और वन्यजीवों की रक्षा करनी चाहिए| अनुच्छेद 51ए (जी) जानवरों के प्रति सम्मान को सुनिश्चित करता है| वहीं, कोर्ट ने सुझाव दिया कि अनुच्छेद 21 सभी को जीवन का अधिकार देता है | इसे जानवरों के लिए भी बढ़ाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ये अनुच्छेद न केवल मनुष्यों के जीवन की रक्षा करता है बल्कि जानवरों के जीवन की भी रक्षा करता है|