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धार्मिक

कल है अनंत चतुर्दशी 2023, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

भगवान विष्णु को समर्पित है अनंत चतुर्दशी

Publish Date: September 27, 2023

www.csnn24.com| हर साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है। इस साल 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर मांलक्ष्मी और भगवान विष्णुकी विधि-विधान सेपूजा-अर्चना किया जाता है। इस खास मौके पर व्रत रखनेका बेहद शुभ माना जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशजी की मूर्ति भी विसर्जित किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णुजी की पूजा-उपासना के बाद उन्हें रक्षा सूत्र बांधा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करनेसेभक्तों के सभी बिगड़तेकाम बनने लगते हैं और शुभ कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 27 सितंबर की रात 10 बजकर 18 मिनट पर होगा और 28 सितंबर को शाम 6 बजकर 49 पर समाप्त होगा| इसलिए उदय तिथि के अनुसार 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा | अनंत चतुर्दशी पर पूजा का सुबह मुहूर्त 28 सितंबर के दिन सुबह 6 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 49 मिनट तक है |
भगवान विष्णु को समर्पित हैअनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है| इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन श्रीहरि नारायण भगवान विष्णुकी पूजा करने का विधान है| इसके साथ ही इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है | मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी की पूजा और व्रत से जीवन में शुभता आती हैऔर दुखों का नाश होता है |

अनंत चतुर्दशी की पूजा कैसे होती है?

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्‍णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है| इस दिन सबसे पहले स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करके इस व्रत का संकल्‍प लें |इसके बाद मंदिर मेंकलश स्‍थापना करके भगवान विष्णुकी तस्वीर लगाएं | एं घर में गंगाजल का छिड़काव करें | फिर सूर्यदेव को जल अर्पित करें | अब एक डोरी को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें 14 गांठें सगा लें | परिवार में जितने सदस्य हैं, उतना ही संख्या में विष्णुजी को अनंत रक्षा सूत्र अर्पित करें|  इसके साथ ही भगवान विष्णुको अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, इत्र, चंदन आदि चीजेंअर्पित करें | फिर भगवान विष्णुकी आरती करें और उनके मंत्रो का जाप जरूर करें |

अनंत चतुदर्शी के दिन केले के पौधे की करें पूजा

अनंत चतुदर्शी के दिन तिल, घी, खांड, मेवा एवं खीर इत्यादि सेहवन करके यथासंभव गोदान, शय्यादान और अन्नदान का भी
विधान है | इसके बाद केलेके वृक्ष का भी पूजन करें | सामर्थ्य अनुसार चौदह ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपना व्रत समाप्त करें,
इस दिन नमक का सेवन न करें |

अनंत चतुर्दशी के व्रत मेंक्या खाया जाता है?

अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरी और मांलक्ष्मी की पूजा की जाती है | इसी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है| क्योंकि गणेश भगवान की स्थापना करने के पूरे दसवें दिन उनका विसर्जन करने का विधान है| अनंत चतुर्दशी वाले दिन बहुत सारे लोग व्रत भी करते हैं| वैसे तो फलाहारी खाने में लोग कुट्टू के आटे से बनी चीजे, आलूया साबुदाना ज्यादातर खाते हैं |

अनंत चतुर्दशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

अनंत चतुर्दशी के दिन किसी भी प्रकार का कोई भी अनैतिक कार्य करने से बचना चाहिए | इस दिन किसी भी व्यक्ति, ब्राह्मण या बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपने इस दिन अनंत सूत्र कलाई पर बांधा है तो मांस मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें | इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन आपके लिए जहां तक संभव हो सके |

अनंत चतुर्दशी की कथा  

प्राचीन काल मेंएक वशिष्ठ गोत्रीय मुनि सुमन्तु थे | उनकी पुत्री का नाम शीला था | पुत्री का गुणगु उसके नाम के अनुरूप ही था | सुमन्तु ने उसका विवाह कौण्डिन्य मुनि के साथ कर दिया | कौण्डिन्य मुनि सुमन्तु मुनि की कन्या के साथ विवाह करके अपने घर लौट रहे थे और समय मार्ग में नदी के तट पर स्त्रियों को अनन्त व्रत करते हुए देखकर शीला ने भी अनन्त का व्रत किया और अपनी बाहु मेंअनन्त सूत्र को बांध लिया, जिसके प्रभाव से थोड़े ही दिनों में उसका घर धन धान्य से परिपूर्ण हो गया |

एक दिन कौण्डिन्य मुनि की दृष्टि अपनी पत्नी के बाहु में बंधे हुए सूत्र पर पड़ी, जिसे देखकर मुनि ने स्त्री सेकहा – क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है?  तब शीला ने कहा नहीं, यह अनन्त भगवान का सूत्र है | लेकिन ऐश्वर्य के नशे में चूर कौण्डिन्य मुनि ने उसे तोड़कर अग्नि में फेंक दिया  | जिसके परिणाम स्वरूप कुछ ही समय में उनकी स्थिति दीन हीन हो गई | अपनी भूल का ज्ञान होने के बाद अपने दोष का उपाय करने के लिए अनन्त भगवान से क्षमा मांगने के लिए घर छोड़कर वन में चले गये और वहां जाकर भगवान श्री अनन्त जी को प्रसन्न करने के लिए उपासना करने लगे |

बहुत दिनों तक उपासना करने के पश्चात्भी भगवान का आशीर्वाद न मिलने से निराश होकर वृक्ष की शाखा से लटककर मृत्यु का वरण करने ही जा रहे थे, तभी एक वृद्ध ब्राह्मण वहां उपस्थित होकर उन्हें रोक दिया और कहा कि चलो गुफा गु में तुम्हें अनन्त भगवान का दर्शन करता हूं | वृद्ध के भेष में भगवान श्री अनन्त ने गुफा में ले जाकर अपने चतुर्भुज स्वरूप में दर्शन दिया और कहा- तुमने जो अनन्त सूत्र का तिरस्कार किया है, उसकी भूल सुधारने के लिए तुम चौदह वर्षों तक अनन्त व्रत का पालन करो, इससे तुम्हारी नष्ट हुयी सम्पत्ति पुनः प्राप्त हो जाएगी |कौण्डिन्य मुनि ने इसे सहस्र स्वीकार किया |जैसे जैसे वर्ष बीतते गए भगवान श्री अनन्त की कृपा सेकौण्डिन्य मुनि की संपत्ति और ऐश्वर्यउन्हेंपुनः प्राप्त हो गया |

 

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Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

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