24 साल बाद बना है अद्भुत संयोग… बाबा महाकाल का सावन सोमवार और बाबा के साथ नागचंद्रेश्वर के दर्शन…
आज रात 12 बजे खुलेंगे भगवान नागचंद्रेश्वर के पट नाग पंचमी कल, जाने पूजा विधि, मंत्र और महत्व...
(www.csnn24.com) रतलाम इस साल 21 अगस्त 2023, सावन के सातवे सोमवार को नाग पंचमी है। नाग पंचमी को भगवान शिव व नागदेव की पूजा से विशेष रूप से सिद्धि प्राप्ति होती है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
24 साल बाद सावन सोमवार पर नाग पंचमी
21 अगस्त 2023 को सावन के 7वें सोमवार पर नाग पंचमी भी रहेगी. साथ ही इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. 21 अगस्त को शुभ नामक योग बनेगा और चित्रा नक्षत्र भी रहेगी. इस साल नाग पंचमी का पर्व अधिकमास के बाद और सावन सोमवार के दिन पड़ रहा है. माना जा रहा है कि ऐसा संयोग पूरे 24 साल बाद बना है.
सावन सोमवार और नाग पंचमी पर शुभ योग और पूजा मुहूर्त
- शुभ योग: 20 अगस्त 2023 रात 09:59 से 21 अगस्त 2023 रात 10:21 तक
- शुक्ल योग: 21 अगस्त 2023 रात 10:21 से 22 अगस्त 2023 रात 10:18 तक
- पूजा मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 सुबह 06:21 से सुबह 08:53 तक
- उत्तम मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 सुबह 09:31 से सुबह 11:06 तक
- प्रदोष काल मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 शाम 05:27 से रात 08:27 तक
नाग पूजा का धार्मिक महत्व
समस्त नाग जाति के प्रति श्रद्धा व सम्मान पूर्वक गोदूग्ध धान का लावा, सफेद पुष्प, धूप आदि से पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद नाग देवता की प्रसन्नता के लिए निम्न मन्त्र का जप करें –
- ऊं नागदेवतायै नम: |
- ‘ऊं नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात् |
- अनन्तंवा सुकिं शेषंपद्मनाभं च कम्बलम्। शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥ एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्। सायंका ले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:। तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
नाग पंचमी के दिन जिस जातक के जन्म कुण्डली में कालसर्पदोष, सर्पश्राप के द्वारा कष्ट प्राप्त हो रहा हो। उन्हें चाहिए की भगवान शिव की पूजा के साथ- साथ सर्पदेवता की पूजा उपरोक्त मन्त्र के द्वारा करें, जिससे उसे कालसर्पदोष व सर्पश्राप सेमुक्ति मिल सकती है।
पृथ्वी पर नागों की उत्पत्ति कैसे हुई। इसका वर्णन हमारे ग्रन्थों में किया गया है। इनमें वासुकि, शेषनाग, तक्षक और कालिया जैसे नाग है। नागों का जन्म ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रु और विनता से हुआ था। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्होंने बताया कि नागपंचमी के दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए और धूप, पुष्प आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्द्राणी देवी की पूजा करनी चाहिए। दही, दूध, अक्षत, जल, पुष्प, नेवैद्य आदि से उनकी आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से पूरे वर्ष आपके परिवार में सर्प देवता व भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। नागपंचमी की तैयारियों लोगों के घरों में शुरू हो गई है। महिलाएं घरों की साफ सफाई करने में जुटी हुई है।
आज रात खुलेंगे नागचंद्रेश्वर के पट
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के अवसर पर केवल 24 घंटों के लिए खोले जाते हैं। इस मंदिर में स्थित भगवान शिव की अनोखी प्रतिमा के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उज्जैन पहुंचते हैं। इस वर्ष नागपंचमी पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा। लिहाजा मंदिर के पट 20 अगस्त की रात 12 बजे से 21 अगस्त की रात 12 बजे के लिए भक्तों के लिए खोले जाएंगे। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के चलते प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।
महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत शिव प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ सात फनों वाले नागों के सिंहासन पर विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसी प्रतिमा पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है। नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा में शिव-पार्वती दोनों के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। मूर्ति में भगवान गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर कार्तिकेय की मूर्ति व उपर की ओर सूर्य-चन्द्रमा भी अंकित हैं। नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदाहरण है। भगवान शिव के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहा जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी।