(www.csnn24.com) रतलाम |महादेव को समर्पित सावन मास में इस बार अधिमास लग रहा है। 19 वर्षों बाद ऐसा संयोग हो रहा है, जब सावन माह में अधिमास लग रहा है। ऐसे में यह सावन लगभग दो माह 59 दिनों का होगा। पंचांग के अनुसार श्रावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है और यह 31 अगस्त-2023 को समाप्त होगा। शिव भक्तों को महादेव की उपासना के लिए दो माह का सावन मिलेगा। इस दौरान आठ सोमवारी होगी।
शिव पूजा के लिए प्रमुख तिथियां | दिनांक |
मौना पंचमी | 7 जुलाई 2023 |
शुक्र प्रदोष व्रत | 14 जुलाई 2023 शुक्रवार |
सावन शिवरात्रि | 15 जुलाई 2023 शनिवार |
सावन अमावस्या | 17 जुलाई 2023 सोमवार |
रवि प्रदोष व्रत | 30 जुलाई 2023 रविवार |
रवि प्रदोष व्रत (अधिकमास) | 13 अगस्त 2023 रविवार |
मासिक शिवरात्रि (अधिकमास) | 14 अगस्त 2023 सोमवार |
नाग पंचमी | 21 अगस्त 2023 सोमवार |
सोम प्रदोष व्रत | 28 अगस्त 2023 सोमवार |
सावन पूर्णिमा | 31 अगस्त 2023 |
पूजा- विधि
- घर की साफ़ सफाई कर के, सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करनेके बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल ,दूध, पंचामृत से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प, नैवेद्य , फल अर्पित करें।
- भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।शिव के चालीसा , पाठ ,स्तोत्र, नामावली, मंत्रो का जाप करें |
- दान पुण्य करे |
शिव पूजा- सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, , मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री |
पार्थिव शिवलिंग का महत्व
सावन में शिव जी के जलाभिषेक का महत्व
शिव पुराण के अनुसार सावन में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें शिव जी ने विष पान कर समस्त सृष्टि की रक्षा की थी लेकिन इस हलाहल विष के कारण वह असहज हो गए | उनके गले में असहनीय दर्द उठा| विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी- देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया| यही वजह है कि सावन में शिवलिंग का जलाभिषेक करने का विधान है|
सावन में शिवजी को क्या अर्पित करें और क्या नहीं