सावधान रतलाम जिला चिकित्सालय के कैंटीन में कभी भी हो सकता है विस्फोट…. गैस सिलेंडर को भट्टे पर रखकर किया जाता है गर्म.. मात्र चंद किलो गैस के लिए….
मुख्य जिला चिकित्सालय अधिकारी का कहना सिविल सर्जन के अधिकार का मामला.... सिविल सर्जन रतलाम में नहीं अभी उज्जैन में है.... प्रभारी का कहना कि नोटिस जारी किया है... तो क्या कैंटीन में आने वाले लोगों एवं आसपास के वार्ड में भर्ती मरीजों की जान कितनी सस्ती हो गई की नोटिस का इंतजार किया जाए.....
(www.csnn24.com) रतलाम अपनी अजब गजब व्यवस्थाएं और अव्यवस्थाओं के लिए जाना जाने वाला रतलाम का जिला चिकित्सालय एक बार फिर से सुर्खियों में है। यहां का एक वायरल वीडियो 3 दिन पुराना बताया जा रहा जो वहां के एक मरीज के परिजन के द्वारा बनाकर वायरल किया गया है ऐसा बताया जा रहा है। यह वीडियो इतना सनसनीखेज है कि कोई भी देखेगा तो विस्मित हो जाएगा। जिला चिकित्सालय के मेल सर्जिकल वार्ड के ठीक आगे लगने वाले कैंटीन के इस वीडियो में वहां का कर्मचारी गैस के जलते हुए भट्टे पर गैस सिलेंडर को गर्म कर रहा है। जी हां यह बिल्कुल सही है एस के सिलेंडर को गैस के जलते हुए भट्टे पर सिर्फ इसलिए गर्म किया जा रहा है गैस का सिलेंडर में यदि गैस खत्म होने का आभास होता है तो व्यावसायिक लोग उसे गर्म कर कर उपयोग में लाते हैं और ऐसा मानना है कि इसमें दो से तीन किलो गैस उन्हें पुनः मिल जाती है। ऐसे नजारे अक्सर शादी समारोह में देखे जाते हैं जहां पर हलवाई गैस सिलेंडर को एक बड़े से बर्तन में गर्म पानी में रखते हैं। परंतु जिस प्रकार की लापरवाही जिला चिकित्सालय में सामने आ रही है वह बहुत ही खतरनाक है क्योंकि जब वहां पर csnn24 मैं जाकर वस्तु स्थिति देखी तो अन्य दो-तीन सिलेंडर भी रखे हुए थे। वहां पर उपस्थित जब कर्मचारियों से पूछा गया तो उनके द्वारा ऑफ द रिकॉर्ड बताया गया कि हमने माफी मांग ली है और साफ सफाई के दौरान कर्मचारियों के द्वारा ऐसी गलती कर दी गई थी। उन्होंने यह भी स्वीकार कर कि वह गैस बचाने के लिए उसे गर्म पानी में भी रखते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि 2/4 किलो गैस बचाने के लिए वहां पर उपस्थित लोगों और उसके पीछे मेल सर्जिकल वार्ड और आसपास के वार्ड में भर्ती मरीजों की जान को खतरे में डाला जा रहा है। और इस संदर्भ में जब जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आनंद चंदेलकर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है तथा सिविल सर्जन इसके बारे में बताएंगे परंतु वह आज उज्जैन में है। जब वहां पर प्रभारी डॉक्टर अभिषेक अरोड़ा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह उज्जैन में है तथा उन्होंने कैंटीन संचालक को नोटिस जारी कर दिया है तथा उन्होंने यह भी कहा कि वहां चाय आदि ढुलने के कारण पर साफ सफाई चल रही थी इसलिए उन्होंने भूल वश सिलेंडर गैस पर रख दिया था। जब उनसे पूछा गया कि सर वहां पर गैस भट्टा तो जल रहा था और बड़ा हादसा हो सकता है तो उन्होंने कहा नहीं जलते हुए गैस पर नहीं रखा गया था उसके पास वाला गैस जल रहा था उसके पास रखा गया था। नोटिस का जवाब आने पर कार्रवाई करेंगे। अब प्रश्न या उठना है कि इतनी बड़ी लापरवाही के पश्चात भी जिम्मेदार एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं परंतु कोई भी व्यक्ति कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है। यदि भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना घट जाती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। मौके पर तीन से चार गैस सिलेंडर रखे हुए थे तथा वहां पर उपस्थित कर्मचारियों से जब पूछा गया कि आप घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग क्यों कर रहे हैं तो उनका कहना था यह कमर्शियल है तथा प्राइवेट कंपनी रिलायंस के हैं परंतु वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं मिला हम भी इसकी पुष्टि नहीं करते कि वह कमर्शियल से अथवा घरेलू यह भी जांच का विषय है। अब प्रश्न उठता है कि क्या कमीशन का खेल भारी है अथवा फिर कोई अन्य प्रभाव। क्या वहां पर इलाज करवाने आए मरीजों तथा कैंटीन पर उपस्थित लोगों के अलावा आसपास के वार्ड में भर्ती मरीजों की जान की कीमत जांच से अधिक है या फिर और कोई अन्य कारण है।
देखिए वीडियो:-