रक्षाबंधन पर बना शुभ मुहूर्त, बहन इस समय बांधें भाइयों की कलाई पर राखी
जानें सही विधि और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
www.csnn24.com| हिंद धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। भाई-बहन का ये पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है राखी पर सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उसके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करती हैं, तो वहीं भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वादा करते हैं। भाई की कलाई में बाधा रक्षा सूत्र सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि बहन-भाइयों के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और सुरक्षा की शक्ति और प्रतिबद्धता से संबंधित है। इस साल रक्षा बंधन सुबह के समय नहीं मनाया जाएगा, क्योंकि क्यों इस दिन सुबह से ही भद्रा का साया रहेगा। इसलिए इस दिन दोपहर के समय से बहनें भाइयों को राखी बांधेगी। इसके साथ ही इस दिन 90 साल बाद दुर्लभ योग भी बन रहा है।
शुभ मुहूर्त
इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त दोपहर 01:32 से लेकर रात 09:07 तक रहने वाला है। इस अवधि में आप अपने भाई की कलाई में राखी बांध सकती है।
दोपहर के समय राखी बांधने का समय – दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से 4 बजकर 19 मिनट तक अवधि – 02 घण्टे 37 मिनट
रक्षाबंधन में प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
रक्षाबंधन पर भद्रा और पंचक का साया
द्रिक पंचांग के अनुसार, 19 अगस्त को शाम 7 बजकर 1 मिनट से पंचक आरंभ हो रहे हैं, जो 23 अगस्त रहेंगे। सोमवार से शुरू होने के कारण इस राज पंचक को अशुभ नहीं माना जा रहा है।
रक्षाबंधन भद्रा अंत समय – दोपहर 01 बजकर 30 मिनट
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ – सुबह 09:51 – सुबह 10:53
रक्षाबंधन भद्रा मुख – सुबह 10:53 – दोपहर 12:37
राखी बांधने की सही विधि
- रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके देवी-देवता की पूजा करने के साथ उन्हें भी रक्षा सूत्र चढ़ा दें।
- रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त में एक चांदी, पीतल आदि की थाली में रोली, चावल, सिंदूर, मिठाई, राखी , दीपक आदि रख लें।
- अब पहले देवी-देवता का ध्यान करें। इसके बाद भाई को एक चौकी या ऊंचे स्थान में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बिठाकर सिर में रूमाल या कोई कपड़ा डाल दें।
- बहन पहले अपने भाई के माथे में रोली का तिलक लगाएं। इसके बाद अक्षत लगाने के साथ उसके ऊपर छिड़क दें। इसके बाद आरती उतार लें।
- अब मंत्र – येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल मा चल:। – का जाप करते हुए भाई की दाई कलाई में राखी को बांध दें। इसके बाद उसे मिठाई खिला दें। फिर भाई भी बहन को मिठाई कराने के बाद पैर छुए और उसे उपहार में पैसे या अन्य चीज दें और सुखी जीवन की कामना करें।
क्या है रक्षाबंधन का इतिहास?
रक्षाबंधन को लेकर कई अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। हालांकि, इनमें भगवान श्री कृष्ण- द्रौपदी और रानी कर्णावती-सम्राट हुमायूं की कहानी सबसे अधिक मशहूर है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी, जिसे देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर भगवान की चोट पर बांधा था। उस समय भगवान कृष्ण ने हमेशा द्रौपदी की रक्षा करने का वादा किया था। वहीं,हीं जब द्रौपदी को हस्तिनापुर के शाही दरबार में सार्वजनिक अपमानित किया जा रहा था, तब श्री कृष्ण ने अपना ये वादा पूरा किया था। इससे अलग रानी कर्णावती की कहानी को लेकर कहा जाता है, मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। उस समय रानी कर्णावती चितौड़ के रा जा की विधवा थीं और गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने युद्ध छेड़ दिया था। तब, अपनी प्रजा की रक्षा करने के लिए रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी और हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।