(www.csnn24.com)राम जी के बाल स्वरूप की फोटो काफी तेजी से वायरल हो रही है। बाल स्वरूप में प्रभु श्री राम की मूर्ति गर्भ गृहमें विराजमान हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया भी जारी है। प्रभु का बाल स्वरूप अति मनमोहक और निराला है। चेहरेपर तेज, हाथ में धनुष बाण लिए बाल रूप में रामलला सब का मन मोह रहे हैं। बड़ी अनोखी तरह सेप्रभुकी मूर्ति की कारीगरी की गयी है। इसलिए आइए जानते हैं प्रभु श्री राम के बाल स्वरूप मूर्ति से जुड़ी दिलचस्प बातें।
क्यों खास है रामलला की मूर्ति?
1- प्रभु श्री राम के मस्तक के पास सूर्य, स्वस्तिक,ॐ, गदा, और चक्र तराशे गए हैं।
2- रामलला की मूर्ति में भगवान विष्णु सहित उनके 10 अवतार मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि के दर्शन भी मिलेंगे।
3- श्यामल रंग के श्याम शीला पत्थर से मूर्ति बनाई गयी है। मूर्ति का निर्माण एक ही पत्थर से किया गया है, जिसका मतलब है कि इसमें अन्य पत्थर नहीं जोड़े गए हैं।
4- प्रभु की यह मूर्ति जलरोधी है। इसका मतलब है की मूर्ति को जल से नुकसान नहीं पहुंच पाएगा।
5- रोली और चंदन लगाने से भी रामलला की मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी।
6- मूर्ति के निचलेसतह पर एक ओर हनुमान जी और दूसरी ओर गरुड़ देव के दर्शन भी मिलेंगे।
7- श्यामल रंग से बनी रामलला की प्रतिमा की आयु हजारों वर्ष लंबी मानी जा रही है क्योंकि श्याम शीला पत्थर सालों साल तक अच्छी अवस्था में रहता है।
8- कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा प्रभुश्री राम के बाल स्वरूप की मूर्ति बनाई गई है।
9- प्रतिमा 4.24 फीट ऊंची बनायी गयी है। रामलला की मूर्ति 3 फीट चौड़ी है, जिसका वजन लगभग 200 किलोग्राम है।
10- रामलला की मूर्ति में पांच वर्षीय बच्चे की मनमोहक झलक दिख रही है, बाएं हाथ में धनुष-बाण और दाएं हाथ को आशीर्वाद देने की मुद्रा में दिखाया गया है।
51 इंच है मूर्ति की ऊंचाई
मूर्ति की उंचाई 51 इंच है| जबकि पुष्प के साथ मूर्ति की ऊंचा 8 फीट हो जाएगी| मूर्ति को कृष्ण शिला से तैयार किया गया है। बता दें कि 19 जनवरी से अस्थाई मंदिर में रामलला के दर्शन भी बंद हो गए हैं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद नए मंदिर में 23 जनवरी से श्रद्धालुओं को दर्शन मिलेंगे।
रामलला गर्भगृह में विराजमान हुए
बता दें कि गुरुवार को जब रामलला को गर्भगृह में स्थापित किया गया था, तब प्रतिमा कपड़ों से ढकी हुई थी| फिर देर रात दूसरी तस्वीर सामने आई, जिसमें रामलला की मूर्ति पर आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी, इस पट्टी को 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हटाया जाएगा।
पुरानी मूर्ति को नए मंदिर में रखा जाएगा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि रामलला की मूर्ति जो वर्तमान में अस्थायी मंदिर में है, उसे भी नए मंदिर में उसी स्थान पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि शुक्रवार शाम की पूजा के बाद पुरानी मूर्ति को नए मंदिर में रखा जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद ही लोग दोनों मूर्तियों की पूजा कर पाएंगे।सत्येंद्र दास ने कहा कि दोनों मूर्तियां गर्भगृह में होंगी हों। अगर पुरानी मूर्ति सिंहासन के साथ गर्भगृह में जाएगी तो नई मूर्ति के बगल में रखा जाएगा, अगर सिंहासन नहीं होगा तो छोटी मूर्ति को सामने रखा जाएगा।
प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में किया जाना है। 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक अभिजीत मुहूर्त होगा। यह मुहूर्त सिर्फ 84 सेकंड का रहेगा।