कोई भी राजा और मंत्री नहीं बिता पाया उज्जैन में एक रात, जानिए इसका रहस्य…
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बिताई उज्जैन के राजा बाबा महाकाल की नगरी में रात कहा नहीं करते बाबा महाकाल किसी का नुकसान...
उज्जैन शहर में हिन्दुओं के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल महाकालेश्वर मंदिर स्थित है। जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसके अलावा इस मंदिर और उज्जैन शहर से कुछ रहस्य भी जुड़े हुए है। आइये जानते हैं महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में…
प्राचीनकाल से उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की यह मान्यता रही है कि यदि कोई राजा उज्जैन में रात गुजार लेता था। तो उसे अपनी सल्तनत गंवानी पड़ती थी और आज भी उज्जैन के लोगों की यही मान्यता है कि यदि कोई भी राजा,सीएम,प्रधानमंत्री या जन प्रतिनिधि उज्जैन शहर की सीमा के भीतर रात बिताने की हिम्मत करता है, तो उसे इस अपराध का दंड भुगतना होता है।
आखिर ऐसा क्या रहस्य जुड़ा है उज्जैन नगरी के महाकालेश्वर मंदिर से , जहां कोई भी मानव रूपी राजा रात नहीं बीता सकता है। आइये जानते हैं उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का वो रहस्य जिससे अभी तक बिल्कुल अंजान थे।
कहानी के अनुसार दूषण नामक असुर से उज्जैन निवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए थे। महाकाल द्वारा असुर के वध के बाद भक्तों ने भगवान शिव से उज्जैन प्रान्त में ही निवास करने की प्रार्थना की, जिसके बाद महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां विराजमान हो गए। वर्तमान मंदिर को श्रीमान रानाजिराव शिंदे ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महाराज महादजी शिंदे और महारानी बायजाबाई शिंदे ने इस मंदिर में कई बदलाव किए और समय-समय पर मरम्मत भी करवाई थी।
महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ा रहस्य पौराणिक कथाओं और सिंघासन बत्तीसी के अनुसार राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है। क्योंकि आज भी बाबा महाकाल ही उज्जैन के राजा हैं। महाकाल के उज्जैन में विराजमान होते हुए, कोई और राजा,मंत्री या जन प्रतिनिधि उज्जैन नगरी के भीतर रात में नहीं ठहर सकता है। यदि कोई भी राजा या मंत्री यहां रात गुज़ारने की कोशिश करता है, तो उसे इसकी सज़ा भुगतनी पड़ती है। इस धारणा को सही ठहराते हुए कई ज्वलंत उदाहरण उज्जैन के इतिहास में उपस्थित हैं।
1 देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद उज्जैन में एक रात रुके थे। तो मोरारजी देसाई की सरकार अगले ही दिन ध्वस्त हो गई।
2 उज्जैन में एक रात रुकने के बाद कर्नाटक के सीएम वाईएस येदियुरप्पा को 20 दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा।
3 वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उज्जैन शहर में रात में नहीं रुकते हैं। किंवदंती के अनुसार, राजा विक्रमादित्य के बाद से, उज्जैन के किसी भी मानव राजा ने कभी भी शहर में रात नहीं बिताई है और जिन्होंने ऐसा किया, वे आपबीती कहने के लिए जीवित नहीं थे।
(CREDIT-UJAAIN TOURISM)
प्रदेश के नए निर्वाचित मुख्यमंत्री ने इस मिथक को तोड़ा है वह रात को उज्जैन में रुके। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री मोहन यादव का तर्क है कि यह कथा सिंधिया घराने के द्वारा प्रचलित की गई है। 1852 में सिंधिया घराने की राजधानी यहां से ग्वालियर गई थी उसे दौरान सिंधिया घराने के द्वारा यह बताया गया था कि यहां पर कोई भी राजा रुक नहीं सकता यदि रखेगा तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा। जिसके चलते कोई भी राजा यहां पर आकर आक्रमण नहीं कर सके और इसके बाद यह मिथक फैल गया उन्होंने कहा कि बाबा महाकाल के आशीर्वाद और आदेश से में मुख्यमंत्री बना हूं बाबा महाकाल को यदि किसी का बुरा करना है तो कहीं पर भी कर सकते हैं क्योंकि बाबा महाकाल पूरे ब्रह्मांड के राजा हैं।