ब्रेकिंग
नगर निगम का बजट (आय-व्यय पत्रक) पारित.... राॅयल काॅलेज में ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ के समर्थन में प्रस्ताव प्रस्तुत.... ठेला गाड़ी पर प्रसव..नवजात की मौत...CC TV VIDEO सामने आने के बाद दो नर्सिंग ऑफिसर का निलंबन... डॉ शैल... रतलाम का बाल चिकित्सालय बना प्रयोगशाला.... देखिए कोन कर रहा है इलाज... मासूमों के जीवन से खिलवाड़... Chaitra Navratri 2025 : 8 दिनों की चैत्र नवरात्रि, 30 मार्च 2025 से शुरू Dasha Mata Pujan 2025 : दशा माता व्रत कल, जानिए महत्व, पूजाविधि और कथा Sheetala Saptami 2025 : कब मनायेंगे शीतला सप्तमी और अष्टमी ? Rangpanchami 2025 : रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है ? जानें इस दिन का क्या है धार्मिक महत्व अनुपूरक बजट में एमएसएमई के लिए 1075 करोड़ 80 लाख रूपये का प्रावधान..... 1956-57 के रिकॉर्ड से उपजी नामांतरण की समस्या का समाधान करने के प्रयास जारी - कैबिनेट मंत्री चेतन्य ...
उत्तर भारतदेश

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए देश के 4 किसान

जानिए इनके बारे में

Publish Date: January 27, 2023

नई दिल्ली (csnn24.com)| इस साल भी कृषि क्षेत्र में अपने विचारों से बदलाव लाने वाले किसानों को सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। इन किसानों में हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा, उड़ीसा के पटायत साहू, केरल के चेरुवयल रामन और सिक्कम के 98 वर्षीय किसान तुला राम उप्रेती शामिल हैं।

1. देशी अनाजों का रक्षक नेकराम शर्मा
हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा को देशी अनाजों का रक्षक माना जाता है, जो पिछले 30 सालों से 40 अनोखी प्रजातियों का संरक्षण कर रहे हैं। नेकराम शर्मा ने ‘नौ अनाज’ पारंपरिक फसल प्रणाली को दोबारा जीवित किया है। को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। जिला मंडी के करसोग के नांज़ गांव के नेकराम शर्मा पिछले करीब 30 सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद 9 अनाजों की पारंपरिक पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का नेक कार्य कर रहे हैं। जिसके लिए नेकराम शर्मा को पद्मश्री से नवाजा जाएगा।

20 साल पहले प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं
नाज़ गांव के साधारण परिवार में जन्मे नेकराम शर्मा वर्ष 1992 से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। करीब 20 साल पहले 6 बीघा भूमि पर प्राकृतिक खेती की तकनीक से जुड़ने के लिए कदम बढ़ाए। इसके लिए उन्होंने सोलन में स्थित डॉ। यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डॉ जेपी उपाध्याय से ट्रेनिंग के दौरान प्राकृतिक खेती के टिप्स लिए। इसके अतिरिक्त नेकराम शर्मा ने बेगलुरु में स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ से भी प्राकृतिक खेती की तकनीक की जानकारी हासिल की।

20 हजार किसानों को कर चुके हैं प्रेरित
प्राकृतिक खेती से जुड़े नेकराम शर्मा प्रदेश भर में 20 हजार किसानों को खेती के लिए प्रेरित कर चुके हैं। नेकराम शर्मा 9 अनाजों की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का नेक कार्य कर रहे हैं। इसमें देश व प्रदेश के लुफ्त होते पारंपरिक अनाज जैसे कागणी, कोदरा, सोक, ज्वार आदि अनाजों सहित मोटे अनाज जैसे देसी मक्की व जौ आदि शामिल है। इसी तरह से नेकराम शर्मा दाल कोलथी के संरक्षण का भी कार्य कर रहे है।

आज तक कोई अवार्ड नहीं मिला 
उन्होंने बताया कि उन्हें आज तक कोई अवार्ड नहीं मिला और न ही आज तक नौकरी मिल पाई। लेकिन, उन्होंने अपनी पारंपरिक खेती के क्षेत्र में ही कार्य किया, जिसके लिए उन्हें अब भारत सरकार की ओर से अवार्ड दिया जा रहा है, जिसकी उन्हें बेहद खुशी है। उन्होंने बताया कि नौ अनाज एक प्राकृतिक अंतर फसल विधि है, जिसमें नौ खाद्यान्न बिना किसी रासायनिक उपयोग के जमीन के एक ही टुकड़े पर उगाए जाते हैं। इससे पानी के उपयोग में 50 फीसदी की कटौती और भूमि की उर्वरता बढ़ती है।

2. बिनी किसी कैमिकल के ही औषधियां उगाते हैं उड़ीसा के पटायत साहू
उड़ीसा के पटायत  साहू ने मात्र डेढ़ एकड़ जमीन से 3,000 से अधिक औषधियों का उत्पादन लिया ही है, अपने इस अनुभव को साझा करते हुए लेख भी प्रकाशित करवाए हैं।

आपको बता दें कि पटायत साहू बिनी किसी कैमिकल के ही औषधियां उगाते हैं। इन्होंने अपना खुद का हर्ब गार्डन बनाया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 81 वें एपीसोड के बाद सुर्खियों में छा गया। पीएम मोदी ने पटायत साहू की सराहना करते हुए बताया था कि उड़ीसा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पटायत साहू कृषि के क्षेत्र में अनूठा काम कर रहे हैं। डेढ़ एकड़ से 3,000 औषधियां का उत्पादन लेकर इनकी डीटेल जानकारी का डोक्यूमेंटेशन भी किया है।

जैविक विधि से तैयार किया हर्ब गार्डन
आपको बता दें कि पटायत साहू ने कालाहांडी स्थित अपने हर्ब गार्डन को बिना किसी कैमिकल रसायन या कीटनाशक के तैयार किया है। यहां हर औषधी को जैविक विधि से ही उगाया जाता है। 65 साल के किसान पटायत साहू खुद अपने ह्रब गार्डन का ख्याल रखते हैं।

3. केरल के चेरुवयल रामन ने धान की 54 प्रजातियों का संरक्षण किया 
भारत ने आज दुनिया के दूसरे बड़े धान उत्पादन के तौर पर पहचान बना ली है। देश में आज बेशक धान की उन्नत हाइब्रिड किस्में प्रचलन में आ गई हों, लेकिन कई सदियों से धान की औषधीय, जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिरोधी और खास देसी किस्में पहले से ही मौजूद हैं। इनमें से कई विलु्प्ति की कगार पर हैं। केरल के चेरुवयल रामन ने सालों से धान की देसी प्रजातियों के संरक्षण का जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है।

आज उन्होंने धान की 54 प्रजातियों का संरक्षण किया है। अपना पूरा जीवन खेती और देसी बीजों के संरक्षण को समर्पित कर दिया है।चेरुवयल धान की खेती को पारंपरिक, पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को संरक्षित करते हैं। वह कोई रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते हैं। रमन को इन देशी चावल की किस्मों को देसी तरीके से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धी मिली है। रमन को 2013 में पौधों की किस्मों के संरक्षण एवं किसान अधिकार प्राधिकरण (PPVFRA) से ‘जीनोम सेवियर अवार्ड’ भी मिल चुका है।
रमन ने बताया कि उन्होंने 1960 में खेती शुरू की। तब वह महज 10 साल के थे।

वायनाड में उन दिनों जंगल, नाले, नाले, दलदली भूमि हुआ करती थी। रमन के अंदर चावलों की किस्में संरक्षित करने का इतना जज्बा है कि वह हर साल भारी नुकसान के बावजूद कभी अपनी मुहिम से पीछे नहीं हटे। वह कहते हैं कि उन्हें हर साल लगभग 70 से 80 हजार रुपये का नुकसान होता है। रमन बताते हैं कि वायनाड हमेशा से ही अपने खुशबूदार चावलों की स्‍थानीय प्रजातियों को लेकर मशहूर रहा है। हालांकि समय के साथ धीरे-धीरे जेनेटिकली मॉडिफाइड और हाइब्रिड प्रजातियों ने स्थानीय प्रजातियों के चावलों को बाहर कर दिया। लोग इन्हें भूलने लगे।

4. सिक्किम के तुला राम उप्रेती ने पूरा जीवन जैविक खेती को समर्पित कर दिया
98 वर्षीय आत्मनिर्भर किसान तुला राम उप्रेती ने बचपन में ही पारंपरिक खेती के गुर सीखे। खुद पर्यावरण के अनुकूल खेती की और दूसरों को भी जैविक-प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया। सिक्किम के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किसान तुला राम उप्रेती के जीवन में इस उपलब्धि ने 98 साल की उम्र में दस्तक दी है। सिक्किम के पाकयोंग जिले के रहने वाले तुला राम उप्रेती को आज जैविक खेती का उस्ताद कहा जाता है।

कृषि के क्षेत्र में 98 साल के किसान तुला राम उप्रेती के अद्भुत-अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि उम्र मात्र एक संख्या है। यदि आप अपने जीवन में कुछ भी अचीव करना चाहते हैं तो दृढ़ निश्चय के साथ उसमें जुटे रहें। बता दें कि ये किसान आज भी जैविक खेती में सक्रिय हैं।

सिक्किम के 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती भी उन्हीं किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक का अपना पूरा जीवन जैविक खेती को समर्पित कर दिया। दूसरे किसानों को भी जैविक खेती-प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए। तुला राम उप्रेती ने आजीवन पारंपरिक तरीकों के जरिए जैविक खेती और खेती में नाम कमाया। आज के इस दौर में जहां किसान जैविक खेती करने से कतराते हैं, वहां तुला राम उप्रेती जैसे किसान प्रेरणास्रोत हैं।

 

Show More

Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Don`t copy text!