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दीपावली 2024… दिवाली 31 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी 

जाने महत्व, सही महूर्त , पूजा विधि

Publish Date: October 23, 2024

(www.csnn24.com) रतलाम दीपावली, जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञानता पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक यह त्योहार लोगों के बीच खुशी, भक्ति और एकता की भावना को बढ़ावा देता है। यह एक भव्य अवसर है जो जीवंत उत्सवों, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक समारोहों से भरा होता है।

2024 में दिवाली कब है?

दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों में उत्सव अलग-अलग होते हैं। महाराष्ट्र में दिवाली एक दिन पहले गोवत्स द्वादशी से शुरू होती है, जबकि गुजरात में यह उत्सव दो दिन पहले अग्यारस से शुरू होकर लाभ पंचमी पर समाप्त होता है।

 2024 में दिवाली बुधवार , 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी ।  बहुत से लोग इस साल दिवाली मनाने की सही तारीख के बारे में अनिश्चित हैं, तो चलिए इस भ्रम को दूर करते हैं। लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर 2024 को की जाएगी, क्योंकि उस शाम अमावस्या का चंद्रमा दिखाई देगा। हालांकि, कुछ शहरों में दिवाली का जश्न 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त हो रही है, लेकिन चूंकि लक्ष्मी पूजा पारंपरिक रूप से सूर्यास्त के बाद की जाती है जब चंद्रमा दिखाई देता है, इसलिए 31 अक्टूबर 2024 को दिवाली मनाने के लिए आदर्श दिन माना जाता है।

मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
05:36 PM से 06:16 PM (अवधि: 41 मिनट)
अमावस्या तिथि प्रारम्भ
31 अक्टूबर 2024 को 03:52 PM
अमावस्या तिथि समाप्त
06:16 अपराह्न, नवम्बर 01, 2024

दिवाली का धार्मिक महत्व क्या है?

 

दिवाली का भारत भर में विविध धार्मिक महत्व है, जो विभिन्न परंपराओं और किंवदंतियों में गहराई से निहित है। एक प्रमुख संबंध हिंदू महाकाव्य रामायण से है, जो राक्षस राजा रावण को हराने के बाद राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की अयोध्या वापसी का जश्न मनाता है। यह जीत दैनिक जीवन में धर्म (कर्तव्य) का पालन करने के महत्व का प्रतीक है।

एक अन्य परंपरा द्वापर युग के दौरान राक्षस राजा नरकासुर पर कृष्ण की विजय का वर्णन करती है, जिसके परिणामस्वरूप 16,000 बंदी लड़कियों को मुक्ति मिली। दिवाली से एक दिन पहले, जिसे नरक चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की इस जीत का जश्न मनाता है।

कुछ समकालीन स्रोतों के अनुसार, यह त्यौहार धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से भी जुड़ा हुआ है, जिनका जन्म त्यौहार की शुरुआत में मनाया जाता है। दिवाली की रात विष्णु के साथ उनके विवाह का प्रतीक है। लक्ष्मी के साथ-साथ बाधाओं को दूर करने वाले गणेश की भी पूजा की जाती है।

पूर्वी भारत में, यह त्यौहार देवी काली से जुड़ा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जबकि ब्रज क्षेत्र और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में, यह कृष्ण द्वारा नरकासुर को हराने का जश्न मनाता है। व्यापारी अक्सर संगीत, साहित्य और धन प्रबंधन में आशीर्वाद के लिए सरस्वती और कुबेर से प्रार्थना करते हैं। गुजरात जैसे क्षेत्रों में, दिवाली नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

दिवाली कैसे मनाई जाती है?

 

दीपावली पूरे भारत और दुनिया के कई हिस्सों में अपने भव्य उत्सव के लिए जानी जाती है जहाँ भारतीय समुदाय रहते हैं। यह त्यौहार बेहद खुशी का समय होता है, जहाँ परिवार और दोस्त एकता, प्रेम और परंपरा का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

  • दीये और रंगोली जलाना: तेल के दीये जलाना दीपावली की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक है। दीयों की टिमटिमाती लपटें अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतिनिधित्व करती हैं। रंगीन पाउडर, फूल और चावल से बने रंगोली डिज़ाइन मेहमानों और देवताओं के स्वागत के लिए घरों के प्रवेश द्वार को सजाते हैं।
  • पटाखे फोड़ना: आतिशबाजी और आतिशबाजी दिवाली के जश्न का पर्याय बन गए हैं। हालाँकि पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण यह प्रथा अधिक विनियमित हो गई है, लेकिन आसमान में रोशनी का जगमगाता प्रदर्शन उत्सव की भावना को और बढ़ा देता है। प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन क्रैकर्स जैसे पर्यावरण के अनुकूल विकल्प लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं।
  • उपहार और मिठाइयों का आदान-प्रदान: दीपावली प्यार और कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और दोस्तों के बीच उपहार, मिठाइयाँ और सूखे मेवे का आदान-प्रदान एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है।
  • पूजा और अनुष्ठान: देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा दिवाली का एक अनिवार्य हिस्सा है। लक्ष्मी पूजा भक्ति के साथ की जाती है, जिसमें वित्तीय सफलता, खुशहाली और घर में शांति के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले और बुद्धि के प्रदाता के रूप में पूजा जाता है।

दिवाली त्योहार के 5 दिन   

धनतेरस – हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। इस बार धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन पूजन का मुहूर्त 06:30 पी एम से 08:12 पी एम तक रहेगा।

छोटी दिवाली – कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 30 अक्तूबर 2024 को छोटी दिवाली है। इस दिन यम के नाम का दीपक जलाया जाता है।

दीपावली – हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या को दीपावली का त्योहार माना जाता है। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त हो रही है, लेकिन चूंकि लक्ष्मी पूजा पारंपरिक रूप से सूर्यास्त के बाद की जाती है जब चंद्रमा दिखाई देता है, इसलिए 31 अक्टूबर 2024 को दिवाली मनाने के लिए आदर्श दिन माना जाता है। हालांकि, कुछ शहरों में दिवाली का जश्न 1 नवंबर 2024 को भी मनाया जाएगा।

गोवर्धन पूजा  – हर साल गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को है।

भाई दूज  – हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार इस साल भाई दूज का पर्व 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। भाई दूज अपराह्न समय 01:10 पी एम से 03:21 पी एम तक रहेगा।

 

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Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

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