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Holi 2025 : 14 मार्च या 15 मार्च कब है होली का त्योहार ? जानें होलिका दहन का मुहूर्त

जानें पूजा विधि, होली की कहानी और महत्व

Publish Date: March 11, 2025

(www.csnn24.com) रतलाम  होली 2025 कब मनाई जाएगी, इस बात को लेकर हर साल की तरह इस साल भी भारी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। होली 14 मार्च को मनाई जाएगी या फिर 15 मार्च को, इस वक्‍त यह काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ स्‍थानों पर होली 14 मार्च को मनाने की बात कर रहे हैं तो कुछ स्‍थानों पर होली 15 मार्च को मनाई जाएगी। आइए आपको बताते हैं कि होली को लेकर कन्फ्यूजन क्‍यों बना, साथ ही जानते हैं होलिका दहन और रंग खेलने की सही डेट क्‍या है ?

होलिका दहन 13 मार्च को और 14 मार्च को धुलैंडी का त्योहार मनाया जाएगा 

होली का त्योहार यानी रंगोत्सव हर साल चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाया है।इस साल चैत्र कृष्‍ण प्रतिपदा तिथि का आरंभ 14 मार्च को दिन में 12 बजकर 25 मिनट के बाद हो जा रहा है। इससे पहले तक फाल्गुन पूर्णिमा तिथि रहेगी। ऐसे में 14 मार्च को दिन में प्रतिपदा तिथि लग जाने से रंगोत्सव इसी दिन मनाया जाएगा।

जहां लोग होली रंगोत्सव की तारीख को लेकर कन्फ्यूज हैं वहीं उलझन की वजह यह है कि लोग उदया तिथि को मान रहे हैं। यानी 14 मार्च को सुबह 12 बजकर 25 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इसलिए लोग अगले दिन यानी 15 तारीख को उदया तिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा होने से रंगोत्सव मनाने की बात कर रहे हैं।

लेकिन आपको बता दें कि होली और रंगोत्सव का नियम है कि जिस दिन प्रदोष काल में फाल्गुन पूर्णिमा तिथि होती है उसी रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस नियम के अनुसार होलिका दहन इस वर्ष 13 मार्च को किया जाएगा और 14 मार्च को रंगोत्सव धुलैंडी का त्योहार मनाया जाएगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो इस साल होलिका दहन का मुहूर्त 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि में होलिका दहन कर सकते हैं।

पूजा विधि

  • होलिका दहन के दिन सुबह स्नान कर लें।
  • फिर पूजा स्थान पर गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
  • इसके बाद कच्चा सूत, गुड़, हल्दी,मूंग, बताशे और गुलाल नारियल चढाएं।
  • अब मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
  • होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी उपासना करें।
  • अंत में होलिका के चारों ओर परिक्रमा करें।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का महत्व पौराणिक कथाओं से कहीं अधिक है। यह परंपरा आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है, जो व्यक्तियों को होली के उत्सव के लिए मानसिक और आत्मिक रूप से तैयार करती है। इसके अलावा, होलिका दहन कृषि चक्र से भी जुड़ा हुआ है। नई फसल को देवताओं को अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
भारत में होली के लिए एक अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक होने के साथ-साथ प्रेम व एकजुटता का संदेश भी हम सभी को देता हैं। इस दिन सभी लोग अपने प्रियजनों, सगे-सम्बन्धियों, दोस्तों और कलीग्स को संदेश भेजकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। सड़कों पर मस्त युवकों की टोलियाँ गाती-बजाती निकलती हैं। एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हुए अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

होली की कहानी

प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक बहुत बड़ा बलशाली असुर राजा था। जिसने अपनी कठोर तपस्या के कारण बहुत से वरदान प्राप्त कर लिए थे। वह अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था। उस अपने राज्य की प्रजा को ये आदेश दिया था कि अब सब लोग भगवान विष्णु की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भी राजा हिरण्यकश्यप के भय से भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करने लगी, पर उसका बेटा ‘प्रहलाद’ भगवान विष्णु  का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात न मानी और  उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुद को लीन रखा। इससे पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।

उसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए एक नई  योजना बनाई जिसमें उसका साथ उसकी छोटी बहन ‘होलिका’ ने दिया। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर लकड़ी के बड़े से टीले पर बैठाकर आग लगा दी गई। परन्तु ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है, प्रहलाद निरंतर भगवान विष्णु की आराधना करने लगा और भगवान ने भी उसकी रक्षा की।

होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रहलाद को कोई आंच न आई। प्रहलाद उस तेज अग्नि के ज्वाला से जीवित बाहर आ गया जिससे सारी प्रजा में खुशी की लहर आ गई। सारी प्रजा भी भक्त प्रहलाद के साथ मिलकर भगवान विष्णु की आराधना करने लगें। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलिका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं।

इन देशों में मनाई जाती है होली

आज होली विश्व प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे भारत के अलावा सयुंक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड और  यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में वसंत ऋतु के आगमन होते ही होली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती हैं। होली आने से पहले ही घरों में भी गुझिया, मट्टी, चाट पापड़ी और कई तरह के पकवान बनाने की तैयारी शुरू हो जाती हैं। बच्चों में भी होली के त्यौहार का उत्साह देखने को मिलता है, इस दिन वह भी बाजार से कई तरह के रंग, गुलाल और पिचकारी खरीदकर एक दूसरे के साथ खेलते है।

 

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Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

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