सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण, जानें इस दिन पितरों का तर्पण कैसे होगा ?
इस बार 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है
(www.csnn24.com) रतलाम इस साल सर्व पितृ अमावस्या पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है | माना जाता है कि सर्व पितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि परिवार के सदस्य भूल जाते हैं| आश्विन मास की अमावस्या सर्व पितृ अमावस्या के रूप में जानी जाती है|
इस बार सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर,2023 शनिवार को लगने जा रहा है| मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम दान करना बड़ा ही फलदायी होता है| लेकिन इस बार यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा| इसलिए सूर्य ग्रहण का अमावस्या पर कोई असर नहीं होगा|
सर्व पितृ अमावस्या की अवधि
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार को पड़ रही है, साथ ही इसी दिन सूर्य ग्रहण भी दिखेगा | सर्व पितृ अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट पर होने जा रहा है और अमावस्या तिथि का समापन 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा
सूर्य ग्रहण की अवधि
14 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है| यह ग्रहण 14 अक्टूबर को रात 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगा| यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा| यह ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में होगा|
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का ये रहेगा असर
इस साल सूर्य ग्रहण कन्या राशि में लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण दर्शनीय ना हो तब भी इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है| इस दौरान कुछ राशियों को सर्वाधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. यह राशियां हैं- मेष, कर्क, तुला और मकर| इन राशियों को सूर्य ग्रहण की अवधि विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है|
कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा | साल का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा |
सर्व पितृ अमावस्या 2023 मुहूर्त
- अश्विन अमावस्या तिथि शुरू – 13 अक्टूबर 2023, रात 09.50
- अश्विन अमावस्या तिथि समाप्त – 14 अक्टूबर 2023, 11.24
- कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:44 – दोपहर 12:30
- रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:30 – दोपहर 01:16
- अपराह्न काल – दोपहर 01:16 – दोपहर 03:35
ऐसे करें पितरों का विसर्जन
सर्व पितृ अमावस्या पवित्र नदी में स्नान के बाद तर्पण, पिंडदान करें | इस दिन 1, 3, 5 ब्राह्मण को भोजन का निमंत्रण दें| दोपहर में श्राद्ध के भोग के लिए सात्विक भोजन बनाकर पंचबलि – गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चीटी – भोग निकालें और ब्राह्मण को विधि पूर्वक भोजन कराएं | सर्व पितृ अमावस्या के भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है| ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर विदा करें | मान्यता है इससे पितरों का विसर्जन होता है | वह तृप्त होकर पितृलोक जाते हैं|
अमावस्या पर क्यों दी जाती है पितरों को विदाई ?
पुराण के अनुसार साल में 15 दिन के लिए यमराज पितरों को मुक्त करते हैं ताकि वह पितृ पक्ष में पृथ्वीलोक में आकर परिजनों के बीच रहते हैं और अपनी क्षुधा शांत करते हैं| अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सर्व पितृ अमावस्या तक पूर्वज पृथ्वी पर रहते हैं| ऐसे में आखिरी दिन अमावस्या पर उनके नाम तर्पण, पिंडदान कर उन्हें विदाई देनी चाहिए ताकि उनकी आत्मा को बल मिल सके और वह पितृलोक में संतुष्ट रहें|
जानें कैसे पड़ा अमावस्या का नाम
मत्स्य पुराण के 14वें अध्याय की कथा के मुताबिक पितरों की एक मानस कन्या थी| उसने बहुत कठीन तपस्या की. उसे वरदान देने के लिए कृष्णपक्ष के 15वें दिन पर सभी पितरगण आए| इसमें वह कन्या बहुत ही सुंदर अमावसु नाम के पितर को देखकर आकर्षित हो गई और उनसे विवाह करने की इच्छा करने लगी | अमावसु ने इसके लिए मना कर दिया| अमावसु के धैर्य के कारण उस दिन की तिथि पितरों के लिए बहुत ही प्रिय हुई, तभी से अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए|
पितृ अमावस्या पर करते हैं अमृत पान
साल की समस्त अमावस्या पर पितृगण वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने कुल के लोगों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं| इस दिन पितृ पूजा करने से उम्र बढ़ती है. परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है|