ब्रेकिंग
3 करोड़ की एमडीएमए ड्रग्स एवं डोडाचूरा बरामद... मुंबई से लेने आए थे आरोपी... नहीं सुनाई देगी श्याम की सिटी की आवाज... इस बार पालकी पर पधार रहीं मां दुर्गा, चरणायुद्ध पर होगी विदाई सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ ! फिर कब होगा पितरों का श्राद्ध ? साई श्री अकैडमी प्रशासन ने करा सील.... परिजनों का आक्रोश... यदि आपका बच्चा भी इस स्कूल में जाता है तो हो जाइए सावधान.... मासूम के साथ नाबालिक ने करी अन्यायी हरक... डी.पी.वायर्स के संचालक अरविंद कटारिया और मैनेजर विजय सोनी के विरुद्ध न्यायालय में वाद दायर, श्रम न्य... राॅयल इंस्टीट्युट में विश्व फार्मेसी दिवस मनाया गया..... भोपाल की बैठक में रतलाम के सी.एम.राईज स्कूल की उपलब्धि पर करतलध्वनि से स्वागत.... जिले में विकास कार्यों को तेज़ी से पूरा करने पर दें जोर, समय-सीमा का सख्ती से हो पालन - प्रभारी मंत्र...
धार्मिक

अनूठा है माता शीतला का रूप, लगाया जाता है बासी भोग

पढ़ें यह रोचक कथा

Publish Date: March 13, 2023

कब मनाई जाती है शीतला सप्तमी

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी को शीतला माता का पर्व मनाया जाता है। इसे बसौड़ या बसौरा भी कहते हैं। शीतला सप्तमी को भोजन बनाकर रखा जाता है और दूसरे दिन उसी भोजन को ही खाया जाता है। इस दौरान विशेष प्रकार का भोजन बनाया जाता है। कहते हैं कि इस ‍देवी की पूजा से चेचक का रोग ठीक होता है। आओ जानते हैं कि कौन है देक्ष शीतला माता।

ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला अपने भक्तों और उनके परिवारों को खसरा और चिकनपॉक्स से बचाती हैं। इसलिए भक्त देवी शीतला का आशीर्वाद लेने के लिए शीतला सातम के अनुष्ठानों का पालन करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान, जिसका पालन शीतला सतम के दिन किया जाता है, वह यह है कि परिवार में कोई ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है। शीतला सातम के दिन खाया जाने वाला भोजन ठंडा और बासी होना चाहिए। इसलिए अधिकांश  परिवार पिछले दिन विशेष भोजन तैयार करते हैं जिसे रंधन छठ के नाम से जाना जाता है।

अनूठा है माता शीतला का रूप

स्कंद पुराण अनुसार देवी शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी पर अभय मुद्रा में विराजमान हैं। शीतला माता के संग ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार माता शीतला की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा से हुई थी। देवलोक से धरती पर माता शीतला अपने साथ भगवान शिक के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं थी। तब उनके हाथों में दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान नहीं दिया तो माता क्रोधित हो गई। उस क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा को लाल लाल दाने निकल आए और लोग गर्मी के मारे मरने लगे। तब राजा विराट ने माता के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध और कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई। तभी से हर साल शीला अष्‍टमी पर लोग मां का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडा भोजन माता को चढ़ाने लगे।

 शीतला माता की पूजा 

शीतला सप्तमी के एक दिन पहले मीठा भात (ओलिया), खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, सब्जी आदि बना लें। कुल्हड़ में मोठ, बाजरा भिगो दें। इनमें से कुछ भी पूजा से पहले नहीं खाना चाहिए।

माता जी की पूजा के लिए ऐसी रोटी बनानी चाहिए जिनमे लाल रंग के सिकाई के निशान नहीं हों। इसी दिन यानि सप्तमी के एक दिन पहले छठ को रात को सारा भोजन बनाने के बाद रसोईघर की साफ सफाई करके पूजा करें। रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि अर्पित कर पूजा करें। इस पूजा के बाद चूल्हा नहीं जलाया जाता। बासोड़े के दिन सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से नहाएं। एक थाली में कंडवारे भरें। कंडवारे में थोड़ा दही, राबड़ी, चावल (ओलिया), पुआ, पकौड़ी, नमक पारे, रोटी, शक्कर पारे,भीगा मोठ, बाजरा आदि जो भी बनाया हो रखें।

एक अन्य थाली में रोली, चावल, मेहंदी, काजल, हल्दी, लच्छा (मोली), वस्त्र, होली वाली बड़कुले की एक माला व सिक्का रखें। शीतल जल का कलश भर कर रखें।  पानी से बिना नमक का  आटा गूंथकर इस आटे से एक छोटा दीपक बना लें। इस दीपक में रुई की बत्ती घी में डुबोकर लगा लें । यह दीपक बिना जलाए ही माता जी को चढ़ाया जाता है। पूजा के लिए साफ सुथरे और सुंदर वस्त्र पहनने चाहिए। पूजा की थाली पर, कंडवारों पर तथा घर के सभी सदस्यों को रोली, हल्दी से टीका करें। खुद के भी टीका कर लें। हाथ जोड़ कर माता से प्रार्थना करें, इसके बाद मन्दिर में जाकर पूजा करें। यदि शीतला माता घर पर हो तो घर पर पूजा कर सकते हैं। आरती या गीत आदि गा कर मां की अर्चना करें।  अंत में वापस जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है पॉजिटिव एनर्जी आती है। इसके बाद जहां होलिका दहन हुआ था वहां पूजा करें। थोड़ा जल चढ़ाएं,पूजन सामग्री चढ़ाएं।  घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें। मटकी की पूजा करें। बचा सारा सामान कुम्हारी को, गाय को और ब्राह्मणी को दें।इस प्रकार शीतला माता की पूजा संपन्न होती है। ठंडे व्यंजन सपरिवार मिलजुल कर खाएं और शीतला माता पर्व का आनंद उठाएं।
इस वर्ष का पूजा का मुहूर्त

शीतला सप्तमी रंगों के त्योहार होली के सात दिन बाद मनाया जाता है | इस वर्ष यह निम्न तिथि के अनुसार मनाया जाएगा –

  • शीतला सप्तमी – 14 मार्च, 2023
  • शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त – 06ः 33 ए एम से 06ः 29 पी एम
  • सप्तमी तिथि प्रारंभ – 13 मार्च 2023, 09:27 पी एम
  • सप्तमी तिथि समाप्त – 14 मार्च 2023, 08:22 ए एम
  • शीतला अष्टमी – 15 मार्च 2023
Show More

Sheemon Nigam

Chief Editor csnn24.com Artist by Passion, Journalist by Profession. MD of Devanshe Enterprises, Video Editor of Youtube Channel @buaa_ka_kitchen and Founder of @the.saviour.swarm. Freelance Zoophilist, Naturalist & Social Worker, Podcastor and Blogger. Experience as Anchor, Content creator and Editor in Media Industry. Member of AWBI & PFA India.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Don`t copy text!