
www.csnn24.com | बसौड़ा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है | शीतला सप्तमी और अष्टमी को ’बसौड़ा पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है|
शीतला अष्टमी-सप्तमी कब ?
चैत्र मास में शीतला माता के लिए शीतला सप्तमी 21 मार्च और अष्टमी 22 मार्च का व्रत-उपवास किया जाता है| इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है| जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं| 20 और 21 मार्च को रांधा पुआ होगा| जहां पर शीतला सप्तमी मनाई जाएगी| वहां पर 20 मार्च को रांधा पुआ होगा| जहां पर शीतला अष्टमी मनाई जायेगी| वहां पर 21 मार्च को रांधा पुआ होगा|
क्यों खाते हैं ठंडा भोजन ?
कहीं पर सप्तमी के दिन और कहीं पर अष्टमी के दिन ठंडा भोजन किया जाता है दरअसल, ये समय शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है| इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं| शीतला सप्तमी और अष्टमी पर ठंडा खाना खाने से हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है ऐसी मान्यता है|
बसौड़ा पूजा, शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्योहार है. यह त्योहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है| आमतौर पर यह होली के आठ दिनों के बाद पड़ता है लेकिन कई लोग इसे होली के बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को मनाते हैं|
शीतला पूजा का महत्व
बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए और उनकी खुशहाली के लिए इस त्योहार को मनाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है| इस दिन माता शीतला की बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है और स्वयं भी प्रसाद के रूप में बासी भोजन ही करना होता है|
नाम के अनुसार ही शीतला माता को शीतल चीजें पसंद हैं. मां शीतला का उल्लेख सर्वप्रथम स्कन्दपुराण में मिलता है| इनका स्वरूप अत्यंत शीतल है और कष्ट-रोग हरने वाली हैं| गधा इनकी सवारी है और हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं। मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है|
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान व मध्य प्रदेश के कुछ समुदाय के लोग इस त्योहार को बासौड़ा कहते हैं| जो कि बासी भोजन के नाम से लिया गया है| इस त्योहार को मनाने के लिए लोग सप्तमी की रात को बासी भोजन तैयार कर लेते हैं और अगले दिन देवी को भोग लगाने के बाद ही स्वयं ग्रहण करते हैं|
कहीं पर हलवा पूरी का भोग तैयार किया जाता है तो कुछ स्थानों पर गुलगुले बनाए जाते हैं| कुछ स्थानों पर गन्ने के रस की बनी खीर का भोग भी शीतला माता को लगाया जाता है| इस खीर को भी सप्तमी की रात को ही बना लिया जाता है|
शीतला सप्तमी व्रत की तिथि
इस वर्ष, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ 21 मार्च को रात 2:45 बजे होगा और 22 मार्च की सुबह 4:23 बजे तक रहेगा। इस उपलक्ष्य में शीतला सप्तमी का व्रत 21 मार्च, शुक्रवार को रखा जाएगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:24 से शाम 6:33 तक रहेगा।
शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त
शीतला सप्तमी के अगले दिन, चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 4:23 बजे से प्रारंभ होकर 23 मार्च को सुबह 5:23 बजे तक रहेगी। इस दिन विशेष रूप से माता को बसौड़े का भोग अर्पित किया जाता है। शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त सुबह 06:23 बजे से शाम 06:33 बजे तक रहेगा।