रतलाम का बाल चिकित्सालय बना प्रयोगशाला…. देखिए कोन कर रहा है इलाज… मासूमों के जीवन से खिलवाड़…
ट्रेनी मेल कंपाउंडर कर रहा बच्चों का इलाज... जिम्मेदार बोले सीखने की अनुमति प्रिस्क्रिप्शन लिखने की नहीं...

www.csnn24.com रतलाम ( एक्सक्लूसिव खबर)
रतलाम पूरे देश ही नहीं प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित मध्य प्रदेश के मुखिया मोहन यादव चिकित्सा व्यवस्था सुधारने में कोई कोर कसर असर नहीं छोड़ रहे हैं। स्पष्ट रूप से आदेश जारी किए गए हैं कि प्रदेश में जहां पर भी कोई भी झोलाछाप डॉक्टर इलाज करते हुए नजर आए तो उसे पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। रतलाम में भी समय-समय पर औपचारिकता कर कर जिम्मेदार अपना नंबर ऊपर बढ़ाने की कोशिश करते रहते हैं। परंतु अब रतलाम में एक बहुत ही बड़ा और गंभीर विषय सामने आया है जहां पर रतलाम के सरकारी बाल चिकित्सालय में एक ट्रेनिंग कंपाउंडर जिसने मेल नर्सिंग की डिग्री किसी कॉलेज से ली है। अब वह इंटर्नशिप के नाम पर मासूमों का इलाज कर रहा है..
और अभिभावक बच्चों के पालक सरकारी व्यवस्था पर भरोसा कर यहां पर लंबी कतारों में खड़े हैं। और अपने बच्चों का इलाज करवा रहे हैं उन्हें यह नहीं मालूम कि वह जिस व्यक्ति को क्वालिफाइड डॉक्टर समझ रहे हैं वह मात्र एक कंपाउंडर है वह भी ट्रेनिंग लेने वाला कंपाउंडर। इस कंपाउंडर का नाम दीपक भाटी है। आज जब CSNN24 ने इसे रंगे हाथों बच्चों का इलाज करते हुए सरकारी बाल चिकित्सालय में पकड़ा तो उसका तीन ताकि वह बड़े अधिकारियों के निर्देश पर यह काम कर रहा है। यह तथाकथित कंपाउंडर डॉक्टर न सिर्फ बच्चों को एक क्वालिफाइड डॉक्टर की तरह चेक कर रहा था ओर तो उनके इलाज लिए दवाई एवं प्रिसक्रिप्शन भी लिख रहा था। इतना ही नहीं जो ड्यूटी डॉक्टर वहां पर पदस्थ थे वह अपने कक्ष में आराम कर रहे जब CSNN की टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर सूचना मिलते ही ड्यूटी डॉक्टर अपने कक्ष से बाहर आकर उसके समक्ष बैठ गए। इस संदर्भ में दोनों से बातचीत हुई तो ड्यूटी डॉक्टर पुरुषोत्तम कटारे से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि बाल चिकित्सालय के वरिष्ठ प्रभारी चिकित्सा एवं अन्य अधिकारियों के द्वारा इस कंपाउंडर को यहां पर इलाज करने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने बताया कि यह कंपाउंडर यहां पर इंटर्नशिप कर रहा है और इसे प्रिस्क्रिप्शन लिखने का भी अधिकार है। जब वहां पर इंटर्नशिप का दावा करने वाले मेल कंपाउंडर से चर्चा की गई तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया उनका कहना था कि वह सामान्य बच्चों का इलाज करते हैं। सीरियस पेशेंट आने पर डॉक्टर साहब देखते हैं। इस संदर्भ में जब मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी से फोन पर चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी में नहीं है आप प्रभारी डॉक्टर ए.पी सिंह से बात कर लीजिए। जब डॉक्टर सिंह से फोन पर चर्चा की गई तो कहना था कि आप यहां के प्रमुख डॉक्टर आर.सी डामोर से बात करिए। डॉक्टर डामोर का इस संदर्भ में यह कहना था कि वह 4 से 5 महीने से यहां पर इंटर्नशिप कर रहे हैं।तथा उनका ड्यूटी डॉक्टर के साथ बैठने की अनुमति ऊपर से है। आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है सभी को नोटिस जारी किया जाएगा। अब प्रश्न या उठना है कि सभी जिम्मेदार एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ रहे हैं तो फिर रतलाम की स्वास्थ्य सुविधाओं पर प्रश्न चिन्ह लगता है और यही नहीं प्रदेश की चिकित्सा सुविधाओं पर भी सीधे-सीधे यह कुठाराघात है। आगे देखना होगा कि यह मामला कितना आगे जाता है अथवा इसको भी झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता करके ठंडे में डाल दिया जाता है।