देशभर में आज मनाया जा रहा है रामनवमी का त्योहार
जानें शुभ मुहूर्त ,पूजा विधि और राम नवमी का महत्व

www.csnn24.com | नवरात्रा के महानवमी को भगवान राम का प्रादुर्भाव हुआ था | राम नवमी को भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। खुशी और उल्लास के इस त्योहार को मनाने का उद्देश्य हमारे भीतर “ज्ञान के प्रकाश का उदय” है। भगवान राम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या से हुआ था।राम नवमी का त्यौहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम का जन्म इसी दिन हुआ था और वे जुगों से मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रतीक के रूप में माने जाते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए दुनिया में श्री राम के रूप में अवतार लिया।
भगवान राम उनका अपना प्रकाश है, लक्ष्मण (भगवान राम के छोटे भाई) का अर्थ है सतर्कता, शत्रुघ्न का अर्थ है जिसका कोई दुश्मन नहीं है या जिसका कोई विरोधी नहीं है। भरत का अर्थ है योग्य। अयोध्या (जहाँ राम का जन्म हुआ है) का अर्थ है एक ऐसी जगह जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता।
कब है राम नवमी?
यह पर्व हिंदू पंचांग के प्रथम माह चैत्र के शुक्ला पक्ष की नवमी के दिन आता है तथा यह उत्सव चैत्र नवरात्रि का नौवें दिन के रूप मे भी मनाया जाता है। श्री राम का प्राकट्य अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे हुआ था। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 5 अप्रैल, शनिवार के दिन, शाम 7 बजकर 26 मिनट से होगा। वहीं, इसका समापन 6 अप्रैल, रविवार के दिन शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष राम नवमी का पर्व 6 अप्रैल को मनाया जाएगा।
मुहूर्त
मुहूर्त / योग का नाम | मुहूर्त / योग का समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 4:41 मिनट से सुबह 5:29 मिनट तक |
पुष्य नक्षत्र | सुबह 5:32 मिनट से शाम 6:24 मिनट तक |
सुकर्मा योग | सुबह 8:03 मिनट से शाम 6:55 मिनट तक |
धृति | सुबह 6:55 मिनट से शाम 6:18 मिनट तक |
अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 12:04 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक |
रवि पुष्य योग | सुबह 06:18 मिनट से 7 अप्रैल, सुबह 06:17 मिनट तक |
सर्वार्थसिद्धि योग | सुबह 6:18 मिनट से 7 अप्रैल, सुबह 6:24 मिनट तक |
राम नवमी की पूजा कैसे करें?
चूंकि ये दिन चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, इसलिए मां दुर्गा के नवें रूप मां सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन दोनों – भगवान श्रीराम और मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति बनी रहती है। राम नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं, जिसमें अक्षत (चावल), लाल फूल और थोड़ी सी हल्दी या सिंदूर डालें। सूर्य मंत्र का पाठ करें और दिन की शुआत भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर करें। इसके बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम की मूर्ति या फोटो रखें। थोड़ी देर ध्यान लगाकर उनका आवाहन करें और जल, दूध से उनका अभिषेक करें। फिर फूल, माला, चंदन, वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। भगवान को भोग में केसर भात, चावल की खीर, कलाकंद या मिठाई चढ़ाएं। अब दीपक और धूप जलाकर रामायण पाठ या श्रीराम चालीसा पढ़ें और फिर आरती करें। पूजा के बाद सभी से क्षमा याचना कर लें, प्रसाद बाटें ।