(www.csnn24.com) रतलाम हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है| यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है| इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले, यमराज की पूजा करने का विधान है और उनके समस्त दीपक भी जलाया जाता है|
नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 23 मिनट से हो रही है| इसका समापन 31 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर होगा, क्योंकि चतुर्दशी तिथि में संध्या के समय यम दीया जलाया जाता है और यम देवता की पूजा की जाती है, इसलिए नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी|
धार्मिक मान्यता के अनुसार
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है| दीपक जलाकार यम से प्रार्थना की जाती है कि वो नरक के द्वार सदा हमारे लिए बंद रखें, ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सके| इसके अलावा कई लोग बुराई व जीवन में मौजूद नकारात्मकता को दूर करने के लिए भी इस दिन दीपक जलाते हैं| यमराज के प्रति नरक चतुर्दशी के दिन चौमुखी दीपक ही जलाना चाहिए| दीपक में सरसों का तेल भरना चाहिए. घर की अलग-अलग दिशा में अलग-अलग देवी-देवता का वास होता है| यमराज की दिशा शास्त्रों में दक्षिण दिशा बताई गयी है| इसलिए इस दक्षिण दिशा की तरफ दीपक को रख कर जलाना चाहिए|
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
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अमृत काल- 02:56 दोपहर से 04:45 दोपहर तक।
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ब्रह्म मुहूर्त–04:49 सुबह से 05:40 सुबह तक।
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गोधूलि मुहूर्त- 05:37 संध्या से 06:03 संध्या तक।
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निशिता मुहूर्त 11:39 रात्रि से 12:31 सुबह तक।
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सर्वार्थ सिद्धि योग 06:32 सुबह से 09:43 रात तक।
नरक चतुर्दशी स्नान विधि
1. नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व उठकर स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन ऐसा करने से रूप में निखार भी आता है। इस दिन तांबे के लोटे से स्नान करना चाहिए।
3. इस दिन देवी-देवताओं की उपासना करें, और उनका भोग भी लगाएं।4. शाम के समय भगवान यमराज के नाम का तेल दीपक जलाएं, और उसे घर की चौखट के बाहर रख दें। 5. दक्षिण दिशा में मुंह करके पूजा करें। और भगवान से प्रार्थना करें।