जखनी के जल योद्धा, पानी के पहरेदार, उमाशंकर पांडेय पद्मश्री से सम्मानित
जखनी को जल ग्राम बनाने में उमा शंकर पांडे ने भागीरथी भूमिका निभाई
लखनउ (csnn24.com)| बुंदेलखंड के लिए गौरव, पानी के पहरेदार जखनी गांव के जल योद्धा उमाशंकर पांडेय को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है। सूखे की विभीषिका झेलने वाले बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी को जल ग्राम बनाने में उमा शंकर पांडे ने भागीरथी भूमिका निभाई।
उमाशंकर पांडेय ने खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ का मंत्र पूरे देश को दिया। सामुदायिक सहभागिता से उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए। उमाशंकर पांडेय कहते हैं कि सरकार ने उनकी उपलब्धि का मान रखते हुए उन्हें इस सम्मान से नवाजा है। उनके 30 वर्ष से निस्वार्थ भाव से किए गए कार्य का यह प्रतिफल है।
विकलांगों के कल्याण के लिए भी अनेक कार्य किए
61 वर्षीय उमा शंकर पांडे ने युवावस्था में विकलांग होते हुए भी विकलांगों के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने जिले में लोगों से सहयोग मांग-मांग कर एक झोपड़ी में विकलांगों को शिक्षित करने का प्रयास किया। बाद में प्रशासन द्वारा उन्हें भवन भी मुहैया कराया गया। इस दौरान उन्होंने हजारों विकलांगों को शिक्षित किया। इसके बाद बुंदेलखंड में पानी के संकट को देखते हुए उन्होंने पानी पर काम करना शुरू किया। पुरखों के कार्यों और अनुभवों के सहारे ही उन्होंने दो दशक पहले मेड़बंदी का तरीका अपनाकर जखनी गांव को जल ग्राम बना दिया |
उनके इस प्रयास से 2000 बीघे में मेड़बंदी हुई और गांव के कुएं तालाब पानी से लबालब भर गए। उनके इस प्रयास की पूरे देश में चर्चा हुई। यहां तक की 25 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके इस प्रयास की सराहना की। इसके उपरांत ही उन्हें जल योद्धा के रूप में पहचान मिली |
जिले की सभी 470 ग्राम पंचायतों में लागू किया था उनका माडल
उमाशंकर कहते हैं, उनका माडल जिले की सभी 470 ग्राम पंचायतों में तत्कालीन जिलाधिकारी हीरालाल ने लागू किया था। कभी एक रुपये का सरकारी अनुदान नहीं लिया और न ही किसी पुरस्कार के लिए आवेदन किया। जब तक स्वास्थ्य ठीक है, तब तक वर्षा जल संरक्षण की दिशा में काम करते रहेंगे। पौधारोपण करके भूजल संरक्षण का प्रयास जारी रहेगा।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित नीति आयोग ने देश को जल ग्राम जखनी माडल खेत पर मेड़-मेड़ पर पेड़ देने वाले सर्वोदय कार्यकर्ता उमाशंकर पांडेय को भूजल संरक्षण समिति में सदस्य नामित किया था। पानी के पहरेदार उमाशंकर पांडेय कहते हैं कि उन्होंने समुदायिक सहभागिता से पुरखों की विधि से जल संरक्षण की मुहिम छेड़ी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की है।]
उमाशंकर को मिले प्रमुख सम्मान
1. उमा शंकर पांडेय को मिले राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मान
2. कृषक सम्मान आजादी के अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2021
3. सांसद आर.के. सिंह पटेल द्वारा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति यूएस गौतम की अध्यक्षता में सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी द्वारा प्रदान किया गया।
4. राज्य स्तरीय सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार 2021
5. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने इंदिरा गांधी शांति प्रतिष्ठान लखनऊ में प्रदान किया।
6. रजत की बूंदें राष्ट्रीय पुरस्कार, नीर फाउंडेशन-2020
7. पद्मभूषण अनिल प्रकाश जोशी द्वारा प्रदान किया गया
8. राष्ट्रीय संवैधानिक जल योद्धा सम्मान, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार 2020
9. उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में प्रदान किया।
10. द वाटर डाइजेस्टर अवार्ड, संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन 2020
11. इंटरनेशनल यूएन डायरेक्टर की उपस्थिति में जल शक्ति मंत्री भारत सरकार ने प्रदान किया।
12. राष्ट्रीय जल प्रहरी सम्मान, भारत सरकार 2019
13. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली में प्रदान किया।
14. विशेष सम्मान, अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2019
15. फिल्म स्टार बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला द्वारा खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदान किया गया।
16. विद्या भूषण सम्मान, सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2015
17. संस्कृत रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर द्वारा प्रदान किया गया।
18. एबिलिटी अवार्ड, सामाजिक रचनात्मक कार्यों के लिए भारत सरकार 2006
19. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित पुरस्कार समिति ने एबिलिटी अवार्ड जस्टिस ए बी शाह मुख्य न्यायाधीश मद्रास हाई कोर्ट ने प्रदान किया।
20. विशेष सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार 2004, तत्कालीन जिलाधिकारी बांदा मुकेश कुमार मेश्राम द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया।
21. लोक सेवक सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार 1999, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त की अध्यक्षता में तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सूरजभान ने राजभवन लखनऊ में प्रदान किया।
इसके अलावा दर्जनों अन्य पुरस्कार भी प्रदान किए गए हैं।