गणेश चतुर्थी 2023, गणेश चतुर्थी से 10 दिन तक बप्पा को लगाएं ये भोग
गणपति हर लेंगे सारे कष्ट, जाने क्या उनको पसन्द
www.csnn24.com| गणेश उत्सव 19 सितंबर 2023 से 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी तक चलेगा | ऐसे में इन 10 दिनों में गणपति जी की सुबह शाम आरती करें | दोनों समय नए-नए पकवान का भोग लगाएं | इससे वह जल्दी प्रसन्न होंगे |
- पहले दिन गणपति को मोदक का प्रसाद चढ़ाएं |मोदक गणपति का प्रिय पकवान है| माता पार्वती गणेश जी के लिए रोजाना मोदक बनाती थीं | मान्यता है इससे बिगड़े काम बन जाते हैं|
- दूसरे दिन गणपति को बेसन के लड्डू का प्रसाद चढ़ाएं |
- तीसरे दिन गौरी पुत्र गणेश को मोतीचूर के लड्डू का प्रसाद अर्पित करें | इससे प्रेम संबंधों में मिठास आती है| अच्छा जीवनसाथी मिलता है |
- विवाह में अड़चने आ रही हैं तो चौथे दिन गणपति को मालपुए का भोग लगा सकते हैं| मान्यता है गणपति के आशीर्वाद से जल्द घर में शहनाईयां बजती हैं|
- पांचवें दिन गजानन जी को सूजी के हलवे का भोग लगाएं | कहते हैं इससे शत्रु शांत होते हैं |
- छठे दिन गणेश जी को मावा मिठाई का भोग लगाएं |
- 7वें दिन बप्पा की पूजा में नारियल जरुर रखें | श्रीफल को गणपति का प्रतीक भी माना जाता है| मान्यता है इससे घर में कभी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती |
- ग्रहों की अशुभता से तरक्की रुक गई है तो आठवें दिन गणेश को पंचमेवा चढ़ाएं| इससे हर बाधाएं दूर होती है |
- नौवें दिन बप्पा की पूजा में मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए| इससे मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती| गणेश जी मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र हैं|
- आखिरी दिन अनंत चतुर्दशी पर गणपति जी की सुबह पूजा करें | विसर्जन से पहले उन्हें केले का प्रसाद चढ़ाएं | इसके बाद ये भोग सभी लोगों में बांट दें | मान्यता है इससे बप्पा सारे कष्ट हर लेते हैं |
जानिए, भगवान गणेश को कौन से फूल प्रिय हैं और कौन से अप्रिय ?
लाल रंग का गुडहल का फूल गणपति को अति प्रिय है | गौरी पुत्र गणेश की आराधना गुड़हल, चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों से करने पर बुद्धि और विद्या में बढ़ोत्तरी होती है | गणेश जी को पीले रंग के फूल भी विशेष रूप से प्रिय हैं। इसलिए गणेश जी को गेंदे का फूल चढ़ाने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख और सौभाग्य आता है।लाल कनेर का फूल चढ़ाने से गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते है |
पद्म पुराण में वर्णन है कि ‘न तुलस्या गणाधिपम्’ अर्थात गणेश जी को तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए। इसे पीछे एक पौराणकि कथा है कि एक बार तुलसी जी ने गजमुख और लम्बोदर कह कर भगवान गणेश से विवाह करने से इंकार कर दिया था। क्रोधित हो कर गणेश जी ने तुलसी जी को श्राप दे दिया था तब से गणेश पूजन में तुलसी चढ़ान निषेध है।