www.csnn24.com| दशहरा यानी कि विजयदशमी का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल दशहरे की डेट को लेकर लोगों के बीच में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है।
दशहरा कब है ?
पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगी। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। दशहरे के दिन रावण दहन का विशेष महत्व है।
दशहरे पर बने हैं ये शुभ योग
इस साल दशहरे पर यानी कि 12 अक्टूबर को बेहद शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन आपके सभी कामों को सफल बनाएंगे। 12 अक्टूबर को दशहरा के दिन रवि योग पूरे दिन रहेगा, जिससे हर तरह के दोष दूर होंगे। वहीं, सुबह 6 बजकर 20 मिनट से रात 9 बजकर 8 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस योग में किए गए कामों के सफल होने की संभावना बहुत अधिक होती है। दशहरे पर शस्त्र पूजा करने का शुभ समय दोपहर में 2 बजकर 3 मिनट से दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक है। इस दिन वाहन , शमी व अपराजिता वृक्ष का भी पूजन होता है |
दशहरे का महत्व
त्रेता युग में आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही भगवान श्रीराम ने रावण को पराजित किया था। रावण को अधर्म का प्रतीक माना जाता है। इसलिए दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत हुई थी। दशहरा हमें यह याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है।
जान लें इस दिन की खास बातें
इस दिन भगवान राम-सीता और हनुमान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन करोड़ों रुपए के फूलों की बिक्री होती है और लोग अपने घर के दरवाजे फूलों की मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं। इस दिन लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार सोना-चांदी, वाहन, कपड़े तथा बर्तनों की खरीददारी करते हैं। इस दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। ऐसी माना जाता है कि महाभारत में पाण्डवों ने इस दिन युद्ध के समय शमी के पेड़ में ही अपने शस्त्र छिपाए थे। रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव की आराधना की जाती है। देशभर में रावण के पुतले जलाए जाते हैं। दशहरे के दिन शहर-कस्बों और गांवों में श्रीराम-सीता स्वयंवर प्रसंग, रामभक्त हनुमान का लंकादहन कार्यक्रम, रामलीला का बखान करते हुए राम-रावण युद्ध के साथ रावण दहन किया जाता है। इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है। रावण दहन के बाद एक-दूसरे के घर जाकर दशहरे की शुभकामनाएं दी जाती है। गले मिलकर, चरण छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। शमी पत्ते बांटे जाते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।