ब्रेकिंग
3 करोड़ की एमडीएमए ड्रग्स एवं डोडाचूरा बरामद... मुंबई से लेने आए थे आरोपी... नहीं सुनाई देगी श्याम की सिटी की आवाज... इस बार पालकी पर पधार रहीं मां दुर्गा, चरणायुद्ध पर होगी विदाई सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ ! फिर कब होगा पितरों का श्राद्ध ? साई श्री अकैडमी प्रशासन ने करा सील.... परिजनों का आक्रोश... यदि आपका बच्चा भी इस स्कूल में जाता है तो हो जाइए सावधान.... मासूम के साथ नाबालिक ने करी अन्यायी हरक... डी.पी.वायर्स के संचालक अरविंद कटारिया और मैनेजर विजय सोनी के विरुद्ध न्यायालय में वाद दायर, श्रम न्य... राॅयल इंस्टीट्युट में विश्व फार्मेसी दिवस मनाया गया..... भोपाल की बैठक में रतलाम के सी.एम.राईज स्कूल की उपलब्धि पर करतलध्वनि से स्वागत.... जिले में विकास कार्यों को तेज़ी से पूरा करने पर दें जोर, समय-सीमा का सख्ती से हो पालन - प्रभारी मंत्र...
आपकी ख़बर

युवाओं की मृत्यु पर राजनैतिक रोटियां न सेके- प्रो. डी.के. शर्मा…

Publish Date: August 1, 2024

(www.csnn24.com) दिल्ली के एक आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हुई तीन युवाओं की दुःखद मृत्यु से सभी समझदार दुःखी हैं। इस पर कितना भी दुःख व्यक्त किया जाए कम है, साथ ही कोचिंग सेंटर की कटु आलोचना की जानी चाहिए। युवाओं के माता-पिता के कष्ट का अनुमान लगाना असंभव है। इसके लिए बहुत संवेदनशील मन चाहिए जो आज की प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीति करने वालों के पास नहीं है। प्रशासनिक व पुलिस की कार्यवाही का जो परिणाम होता है उससे सभी जागरूक नागरिक परिचित हैं। अधिकतर मामले कानूनी दाव पेंच में उलझ कर रह जाते हैं और अंतिम निर्णय पर पहुंचने में वर्षों लग जाते हैं। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के सभी प्रकरणों का निराकरण अभी तक नहीं हुआ है। उस समय भाजपा सरकार थी। इसमें भी कुछ युवाओं को मार दिया गया था। इस तरह के प्रकरण की सबसे दुःखद बात यह होती है कि राजनैतिक दल अपनी-अपनी रोटियां सेंकने का प्रयास करते हैं और प्रकरण कानूनी दावपेंच में उलझकर रह जाता है। जनमानस की याददाश्त बहुत कमजोर होती है। थोड़े दिन बाद सब भुल जाते हैं। सहयोगी छात्र कब तक संघर्ष करें?

देश में कोचिंग उद्योग बहुत बड़ा हो गया है। खासकर मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं का। मेडिकल भर्ती की नीट परीक्षा में प्रतिवर्ष 20 लाख से अधिक छात्र सम्मिलित होते हैं। इस वर्ष इस परीक्षा की हुई दुर्गति से हम सब परिचित हैं। करीब-करीब सभी कहीं न कहीं कोचिंग लेते हैं। सबसे अधिक बदनाम कोटा में चल रही कोचिंग फैक्ट्री है। जहां प्रतिवर्ष कुछ छात्र आत्महत्या कर लेते हैं लेकिन कभी किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी लाखों विद्यार्थी प्रतिवर्ष कोचिंग लेने जाते हैं, इनमें से अधिकतर दिल्ली में। उपलब्ध जानकारी निम्नानुसार है-

सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में सफल होने की दर आमतौर पर 0.01 प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत तक होती है। साल 2022 की परीक्षा का परिणाम के अनुसार कुल 11.52 लाख में से केवल 933 छात्रों (0.08%) का चयन हुआ।

2023-24 में करीब 13 लाख छात्रों ने यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा दी थी, इनमें से 14,624 छात्रों को मेन्स परीक्षा के लिए चुना गया। इंटरव्यू के बाद कुल 1016 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की सिफारिश की गई। सफलता का प्रतिशत 1% से भी कम रहा।

प्रतिवर्ष परिणाम घोषित होते ही सफल उम्मीदवारों के संघर्ष, समर्पण और कड़ी मेहनत की कहानियां सामने आती हैं, लेकिन असफल हुए लाखों उम्मीदवारों के संघर्ष के बारे में शायद ही कोई बात होती है। वास्तव में इस परीक्षा की तैयारी करना और इस प्रक्रिया से गुजरना एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने से कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने देश के कोने-कोने से युवा सरकार के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी बनने का सपना लेकर दिल्ली आते हैं। उन सपनों को पूरा करने की उन्हें भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है जो तैयारी पर खर्च किए गए पैसे और समय से कहीं अधिक होती है। असफल विद्यार्थियों की निराशा का अनुमान लगाना कठिन है।

दिल्ली का मुखर्जी नगर, ओल्ड राजिंदर नगर, करोल बाग और इसके आसपास का इलाका यूपीएससी कोचिंग सेंटरों का हब है। अधिकांश कोचिंग संस्थानों की शाखाएं 24 घंटे खुली रहती है। लाइब्रेरियां परीक्षा के अनुकूल प्रतिस्पर्धी माहौल यह सब यहाँ होने की वजह से देश भर से युवा यहां आते हैं। यहां सैकड़ों कोचिंग क्लासेस हैं और इस यूपीएससी कोचिंग इंडस्ट्री का अनुमानित सालाना टर्नओवर 3000 करोड़ रुपये से अधिक है। लेकिन इनमें आवश्यक सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं का बहुत अभाव है।

अपने राज्य, परिवार, रहन-सहन, आचार-विचार को छोड़कर दिल्ली आने वाले छात्रों के लिए इस शहर में खुद को नए सिरे से तैयार करना आसान नहीं होता है। यहां की अव्यवस्थाओं के अनुरूप खुद को ढालना होता है। यूपीएससी की तैयारी के लिए गहन अध्ययन के अलावा उन्हें प्रतिदिन कितनी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दिल्ली में चल रहे अधिकतर कोचिंग सेंटर में आवश्यक सुविधा का अभाव है, नतीजा सामने है। प्रत्येक विद्यार्थी से लाखों में फीस ली जाती है और कोचिंग सेंटर अपनी सफलता के झूठे आकड़े विज्ञापन में डालकर विद्यार्थियों को फंसाते हैं।

परन्तु सबसे बुरी बात है राजनैतिक दलों द्वारा प्रतियोगियों की मृत्यु पर राजनैतिक रोटियां सेंकना। ऐसी दुःखद घटना किसी भी राजनैतिक दल के राज में हो सकती है। व्यापमं घोटाला हुआ तब मध्य प्रदेश में भाजपा का राज था। एक दुसरे के विरूद्ध आरोप – प्रत्यारोप लगाकर प्रदर्शन करना निरर्थक है। हमारा मानना है कि ऐसा करने से कोई भी समझदार नागरिक प्रभावित नहीं होता। आवश्यकता यह है कि सभी दल मिलकर यह प्रयास करें कि विद्यार्थियों का आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न बंद हो। झूठे विज्ञापन देने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो। दुःखद घटनाओं को मानवीय दृष्टि से देखकर सब मिलकर समस्या का समाधान तलाश करें। दुर्भाग्य से दुर्घटना होने के बाद सब जागते हैं। विद्यार्थियों का जितना उत्पीड़न होता है उससे कौन परिचित नहीं। इस तरह की व्यवस्था को न रोक पाने का सबसे बड़ा कारण शासकीय सेवकों में व्याप्त भ्रष्टाचार और राजनैतिक हस्तक्षेप है। हमारे देश में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया है और हमने उसे जीवन का आवश्यक अंग मानकर स्वीकार कर लिया है। जांच करने वाले आते भी होंगे, अपनी जेब गर्म करके लौट जाते हैं।

पर सबसे दुःखद राजनैतिक दलों का व्यवहार है। दिल्ली में आप की सरकार भले ही हो दिल्ली में तो केन्द्र सरकार भी बैठी हुई है। दिल्ली की पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन है। अधिकारियों के एरिया भी बंटे हुए होते हैं परन्तु शायद ही कभी किसी ने कोई जांच की होगी। यदि राज्य और केन्द्र अधिकारी कभी-कभी इन विद्यार्थी उत्पीड़न केन्द्रों की ओर झांकते भी रहते तो भी युवाओं को मृत्यु से बचाया जा सकता था। लम्बे पत्रकारिता के अनुभव में यह देखा है कि सभी अधिकारी अपना कार्यकाल सुरक्षित बिताना चाहते हैं। कोई अतिरिक्त उत्साह दिखाता है तो उसे भी बहुत परेशान होना पड़ता है। कई शिक्षा केन्द्रों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है। राजनीति करने वाले भी नहीं चाहते कि कोई अधिकारी उनके या उनसे जुड़े लोगों के मार्ग में हस्तक्षेप करें। सभी राजनैतिक दलों से आग्रह है कि मानवीय समस्याओं का समाधान सब मिलकर करें। मानवीय त्रासदी का उचित दृष्टिकोण से आंकलन करें। उसे राजनैतिक लाभ का अवसर बनाने का प्रयास न करें।

Show More

Professor DK Sharma

प्रोफेसर डी. के. शर्मा शिक्षाविद्, लेखक, समीक्षक है। युवाओं को मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और प्रेरणा देने का कार्य करते हैं। समसामयिक विषय, समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरूद्ध निरंतर लिखते हैं। प्रोफेसर शर्मा शासकीय महाविद्यालय में अग्रेंजी के विभागाध्यक्ष एवं मैनेजमेंट महाविद्यालय के प्राचार्य रहे हैं। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. व लॉ में एलएल.एम. (कलकत्ता विश्वविद्यालय) से किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Don`t copy text!