(www.csnn24.com)| दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है| लेकिन इस साल दिवाली की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है| इसका कारण है अमावस्या की तिथि का समय| यह तिथि दोपहर में शुरू होकर दोपहर में खत्म हो रही है| उदयातिथि की गणना करते हैं तो कार्तिक अमावस्या 13 नवंबर को है| ऐसे में इस साल दिवाली 12 नवंबर को है या 13 नवंबर को? लक्ष्मी पूजा किस दिन की जाएगी? दिवाली पूजा का मुहूर्त क्या है |
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चौदह सालों के वनवास के बाद भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता के साथ लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्या वासियों ने दीप माला जलाकर उनका स्वागत किया था| धार्मिक मान्यता है कि तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाता है | अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि की राम बताते हैं कि कार्तिक माह की अमावस्या के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे| उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को लोगों ने दीपों से सजाया था. तभी से यह त्योहार मनाया जाता है| वहीं लोग दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं| कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं| उन्होंने बताया कि श्रीहरि ने नरकासुर का संहार किया था| इसलिए इस दिन समृद्धि की प्रतीक मां लक्ष्मी और ज्ञान का प्रतीक श्रीगणेश की पूजा की जाती है|
दिवाली की सही तारीख क्या है?
इस साल दिवाली 12 नवंबर रविवार को है | उस शाम को माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी और दीप जलाए जाएंगे|
दिवाली 2023 पर लक्ष्मी पूजा का समय क्या है?
12 नवंबर को माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ है| उसका समापन शाम 06 बजकर 57 मिनट पर होगा| ऐसे में आपको दिवाली की पूजा के लिए आपको 1 घंटा 50 मिनट का मुहूर्त प्राप्त होगा|
दिवाली पूजन विधि 2023
- दिवाली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है। उनके पूजन के लिए सबसे पहले आप पूजा स्थान को साफ़ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें। यदि संभव हो तो नई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करनी चाहिए।
- पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल डालें। हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र – ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।
- सर्वप्रथम आपको गणेश जी के मंत्रों का जाप और पूजन करना चाहिए।
- भगवान गणपति का पूजन ‘गजाननम् भूत भू गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपाद पंकजम्। इस मंत्र का जाप करें।
- गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें मुख्य रूप से दूर्वा तथा मोदक अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी का पूजन भी भगवान गणपति के साथ करें उसके लिए माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इनके साथ आप धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन करें।
- लक्ष्मी और गणेश जी का विधि विधान से पूजन करने के बाद मां काली का पूजन भी रात्रि में किया जाता है।
- पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।
- आरती के आबाद भोग परिवार जनों में वितरित करें।
- लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन के बाद दीये प्रज्वलित करें। सबसे पहले आप लक्ष्मी जी के सामने 5 या 7 घी के दीये प्रज्वलित करें।