(www.csnn24.com) रतलाम जिले के ग्रामीण अंचलों में लगातार ग्रामीण मौत की सवारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं तथा जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए हैं। पूरे क्षेत्र में क्षमता से अधिक ओवरलोडिंग वहां आम आदमी को लेकर इधर से उधर घूम रहे हैं और इस परिक्रमा में आए दिन लोगों को अपनी जान से हाथ गवना पड़त आए दिन लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है फिर भी जिम्मेदारों पर कोई असर दिखाई नहीं देता है। सबसे खास बात यह है कि रतलाम जिले के ग्रामीण अंचलों में जितने भी थाना क्षेत्र हैं उन थाना क्षेत्र में थाने के आगे से भी ओवरलोडिंग वाहन गुजरते हैं परंतु वहां के किसी भी अधिकारी के द्वारा इन पर कार्रवाई नहीं की जाती है जो की एक बड़ा प्रश्न चिन्ह यातायात व्यवस्था को लेकर उठाती है। जब हमने ग्राउंड से रिपोर्ट तैयार करी तो हमें बजाना रावटी शिवगढ़ सेलाना सरवन क्षेत्र में मिले इन वाहनों में महिला पुरुष बच्चों के साथ-साथ ऐसे बच्चे भी थे जो स्कूल जा रहे थे और ओवरलोडिंग ऑटो के बाहर लटके हुए थे।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह वहां ग्रामीण अंचल क्षेत्र में ओवरलोडिंग होने के कारण जब घाट चढ़ते हैं तब जान का जोखिम सर्वाधिक बढ़ जाता है और ऐसी ही जगह पर यह वहां पलटी खा जाते हैं और लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। कई वाहनों में जिनकी क्षमता 5 से 6 सवारी बिठाने की थी उन वाहनों में 20 से 30 लोग ठोस ठोस कर भेड़ बकरियों की तरह भरे हुए थे। हालत यह भी देखने में आए की ड्राइवर सीट के आसपास भी लोगों को बिठा लिया जाता है और ड्राइवर का चेहरा बम मुश्किल से बाहर की ओर नजर आता है और वह ऐसे में किस प्रकार से वाहन को चलना है यह भी सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
इस संदर्भ में जब हम ग्रामीण अंचल में पहुंचे तो कुछ क्षेत्रों में पुलिस कर्मचारियों के द्वारा जाकर गाड़ियां खाली कर दी गई परंतु कैमरे के सामने कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ।
जब जिला परिवहन अधिकारी दीपक मांझी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वह अभी फील्ड में है और कार्रवाई कर रहे हैं। तथा पुलिस एवं जिला परिवहन के द्वारा संयुक्त अभियान चलाते हुए 20 से अधिक लोडिंग वाहनों को पड़कर 10000 का जुर्माना वसूला है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को सैलाना जावरा मार्ग पर बोडिना के पास एक ओवरलोडिंग वाहन पलटने से जीप की छत पर बैठी एक 16 वर्षी किशोरी की गिरने से मौत हो गई थी। इसके पश्चात अब प्रशासनिक अमला ज्यादा है और देखना यह है कि अब इनकी जागरूकता कितने समय तक जागृत रहती है अथवा खानापूर्ति कर कर मामले को शांत कर दिया जाता है।