सरकारी स्कूल में बच्चे पी रहे फ्लोराइड युक्त पानी.. शिक्षक कर रहे मनमानी…
csnn24 की सरकारी स्कूलों में व्यवस्था को लेकर पोल खोलती हुई विशेष खबर...
EXCLUSIVE
(www.csnn24.com) रतलाम पूरे प्रदेश में नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। और इस शिक्षण शास्त्र को बड़े जोर-शोर से शुरू किया गया प्रवेशोत्सव मनाया गया। बच्चों को फूल माला पहना कर स्वागत किया गया। उत्तम शिक्षा के बड़े-बड़े दावे तो कहीं पर इंटरनेशनल अवार्ड भी लिए गए। परंतु जब csnn24 की टीम ग्राउंड रिपोर्ट लेने के लिए रतलाम जिले के रावटी क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में स्थित दो स्कूलों का जायजा लेने पहुंची तो वहां पर बहुत ही दयनीय स्थिति और चौंकाने वाले लापरवाही से भरे मामले सामने आए।
पहला स्कूल है आकड़ीया खेड़ा सैटेलाइट प्राथमिक स्कूल यहां मामला बिल्कुल उलट नजर आया। यह सैटेलाइट स्कूल पड़ोस के स्कूल के मांगे हुए भवन में चल रहा था। शिक्षक कमल दास बैरागी ने बताया कि कि इसका भवन तो बन गया है परंतु कहां बना पता नहीं कागजों पर जरूर चिन्हित है। अब बात करे यहां की अन्य सुविधाओं की बच्चों को यहां पर साफ पीने का पानी नहीं मिलता है यहां के शिक्षक बताते हैं कि एक हैंडपंप है उसका पानी बच्चे और गांव वाले पीने के लिए उपयोग में लाते हैं। परंतु यह पानी पीने योग्य नहीं है क्योंकि इसमें फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है ऐसा शिक्षकों का कहना है। इसके अलावा शिक्षा की अभी बताते हैं कि मध्यान भोजन कभी भी मेनू के हिसाब से यहां पर नहीं मिलता जो बनता है बच्चों को दे दिया जाता है।
.ऐसे हालात इसलिए है कि यहां पर निरीक्षण करने के लिए कोई नहीं आता। नल जल योजना की टंकी बन गई है प्याऊ का स्ट्रक्चर खड़ा है परंतु नल और जल का पूरा अभाव है। इसी स्कूल से सटा हुआ एक अन्य स्कूल भी है वहां पर जब जाकर व्यवस्था देखी तो पता लगा 5 में से दो शिक्षक नदारत है। पूछने पर पता चला कि एक शिक्षक तो सिक लीव लेकर गए हैं और उनके साथ एक मैडम भी गई है।ओर जब उनके साथियों ने उन्हें फोन पर सूचना दी तो वह तत्काल वापस आ गए। जिन शिक्षक ने बीमारी के लिए छुट्टी ली थी वह एप्लीकेशन तो थी परंतु रजिस्टर में कहीं दर्ज नहीं था कि वह आधे दिन की छुट्टी पर गए हैं। और जब वह यह सुनकर कि हमारी टीम वहां पर पहुंची है वापस आ गए और उनसे पूछा गया कि आप किस बीमारी का इलाज करने गए थे तो उन्होंने बताया कि पेट दर्द का इलाज कराने गया था डॉक्टर बहुत दूर है इसलिए वापस आ गया और लोकल स्तर पर इलाज करा लिया। जबकि सूत्रों की मानो तो आसपास दूर-दूर तक कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। इसकी सच्चाई जानने के लिए जब स्वराज एक्सप्रेस ने उनसे पूछा कि बताइए आप कौन सी गोली दवाई ले तो वह बगले झांकते हुए नजर आए। बोले दवाई स्कूल के अंदर रखी है जब उनसे बोला दिखाइए तो वह दवाई दिखा नहीं पाए। क्योंकि वह डॉक्टर के पास गए ही नहीं थे वह तो अन्य एक शिक्षिका के साथ स्कूल छोड़कर अपने घर के लिए रवाना हो गए थे। जब पूछा कि अन्य टीचर यहां से नदारत क्यों थी तो उनका कहना था कि वह उनको डॉक्टर के पास ले गई थी बड़ा ही हास्यास्पद जवाब था। क्योंकि इसमें सबसे बड़ी बात यह निकलकर सामने आई जो छुट्टी का आवेदन दिया गया था बीमारी के नाम पर वह मैडम ने दिया था जबकि दूसरी मैडम कह रही थी कि वह शिक्षक को दिखाने गई थीl