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मामला सिमलावदा तालाब का तालाब निर्माण के लिए न माप पुस्तिका जारी हुई न ही काम हुआ, मूल्यांकन तक नहीं हुआ, फिर भी ऑनलाइन दर्ज हो गई मजदूरों की हाजिरी…  

नहीं थम रहे पंचायतों में घोटाले....

Publish Date: November 17, 2024

(www.csnn24.com)  रतलाम जनपद के सिमलावदा पंचायत में तालाब निर्माण के नाम पर हुए घोटाले की जांच में पंचायत के रोजगार सहायक के साथ ही निर्माण एजेंसी और जनपद के इंजीनियर की भी मिलीभगत पाई गई है। जांच के तथ्यों के अनुसार तालाब निर्माण के लिए माप पुस्तिका जारी हुए बगैर और मूल्यांकन के बिना ही रोजगार सहायक ने ऑनलाइन एप पर मजदूरों की फर्जी हाजरी दर्ज कर रुपए निकाल लिए। बताया जा रहा है कि रोजगार सहायक, निर्माण एजेंसी और उपयंत्री के संबंध कतिपय रसूखदारों से होने के कारण ही अब तक दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो सकी है।
सिमलावदा पंचायत में तालाब निर्माण के नाम पर सवा दो लाख रुपए का गबन सामने आया है। सूत्र बताते हैं कि मामले में अक्टूबर में जांच पूरी होने और रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ शृंगार श्रीवास्तव को सौंप दिए जाने के बाद भी अब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने की वजह रसूख आड़े आना है। मामले की जांच में दोषी पाए गए रोजगार सहायक तथा निर्माण एजेंसी व जनपद के इंजीनियर के बचाव में कतिपय दबाव समूह के सक्रिय होने से कार्रवाई लगातार टलती जा रही है। जिला पंचायत सीईओ श्रीवास्तव ने जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात तो कही है लेकिन कार्रवाई कब तक होगी, यह स्पष्ट नहीं किया है।

जानें, किसने की थी शिकायत और किसने की जांच

जानकारी के अनुसार सिमलावदा के प्रकाश दायमा द्वारा जन सुनवाई में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसमें सिमलावदा पंचायत में दो तालाब निर्माण के मामले में राशि के गबन की शिकायत की गई थी। कलेक्टर ने मामले की जांच जिला पंचायत सीईओ को सौंपी थी। इसके चलते सीईओ द्वारा जांच दल गठित किया गया था। दल में विकासखंड अधिकारी छितुसिंह वास्केला, सहायक यंत्री हर्षा बामनिया, रतलाम जनपद के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी अभिसार हाड़ा, विकासखंड समन्वयक बीरबल सिंह, उप यंत्री गजेंद्र निगम को शामिल किया गया था। इस दल ने 25 अक्टूबर 2024 को ग्राम सचिव भरत मुनिया, रोजगार सहायक समरथ सिन्हा, ….राकेश भूरिया, शिकायकर्ता प्रकाश दायमा और ग्रामीणों की मौजूदी में मौके का निरीक्षण किया। पंचायत रिकॉर्ड एवं ऑनलाइन डाटा चैक करने के साथ ही संबंधितों के बयान भी दर्ज किए।

35 लाख में बनने हैं दो तालाब

जांच के दौरान आए तथ्यों के अनुसार सिमलावदा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत दो तालाब बनने थे। एक श्यामलाल बंजारा के खेत नयापुरा नारजीपाड़ा के पास और दूसरा प्रकाश बंजारा के खेत के पास बनना था। इनकी प्रशासकीय स्वीकृति कृमशः 1 मार्च 2024 एवं 16 फरवरी 2024 को हुई थी। इनमें से पहले तालाब की लागत 20 लाख 63 हजार 584 रुपए जबकि दूसरे की 14 लाख 45 हजार 040 रुपए है। जांच दल द्वारा इन स्थानों पर किए गए भौतिक सत्यापन के दौरान कोई काम होना नहीं पाया गया। इसके बावजूद दोनों तालाबों के निर्माण के नाम पर सवा दो लाख रुपए का आहरण हो चुका है।

इनसे हुई पूछताछ

जांच दल ने मामले में प्रथमदृष्टया दोषी सिमलावदा के ग्राम रोजगार सहायक समरथ सिन्हा, पंचायत सचिव भरत मुनिया, रतलाम जनपद पंचायत के उपयंत्री गजेंद्र निगम, ग्राम पंचायत के मेट राकेश भूरिया तथा शिकायतकर्ता प्रकाश शोभाराम दायमा के बयान दर्ज किए। रोजगार सहायक सिन्हा ने जहां बारिश का बहाना बना कर काम नहीं होने की बात कही जबकि सचिव मुनिया ने सभी की सहमति से मस्टर जारी होने के बारे में बताया। वहीं उपयंत्री निगम ने एजेंसी के बार-बार कहने पर लेआउट प्लान उपलब्ध कराने की बात कही। उपयंत्री ने मौके पर मूल्यांकन नहीं करने की पुष्टि भी की। इतना ही नहीं मेट ने कार्यस्थल पर तीन-चार दिन मजदूरों के काम करने की बात कहते हुए एनएमएमएस द्वारा मोबाइल एप पर मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने की बात कही।

ऐसे हुई धांधली

मनरेगा के तहत मजदूरी व सामग्री का ऑनलाइन भुगतान मूल्यांकन के बाद किए जाने का प्रावधान है। वहीं जांच में पाया गया कि मौके पर न तो कार्य हुआ और न ही उप यंत्री ने मूल्यांकन ही किया फिर भी फिर भी राशि निकाल ली गई। इसके लिए ऑनलाइन एफटीओ से मजदूरी भुगतान गेतु ग्राम पंचायत के लॉगिन से वेजलिस्ट बनाते समय फर्जी माप पुस्तिका नंबर व पेज नंबर दर्ज कर दिए गए। मस्टर भुगतान के लिए ऑनलाइन एप पर माप पुस्तिका नंबर 500/500, 177327/01, 1477327/01, 300/110 आदि दर्ज किए गए जबकि कार्यालयीन रिकॉर्ड अनुसार उक्त दोनों ही कार्यों के लिए इन नंबरों की कोई माप पुस्तिका जारी ही नहीं की गई है। इतना ही नहीं जब जांच दल ने ग्राम पंचायत से मस्टर की मांग की तो वह प्रस्तुत नहीं कर पाई। इससे साफ जाहिर है कि मामले में किसी प्रकार का रिकॉर्ड भी संधारण नहीं किया गया है, केवल ऑनलाइन एप में मजदूरी भुगतान के लिए फर्जी हाजिरी भरकर वेज लिस्ट फॉरवर्ड की गई है।

जांच में इन्हें पाया दोषी
सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान दल ने पाया कि दोनों तालाब निर्माण के नाम पर बगैर कार्य किए और मूल्यांकन के ही फर्जी मस्टर भरकर 2 लाख 19 हजार 727 रुपए का गबन किया गया है। चूंकि प्राथमिक रूप से मस्टर निकालने और वेज लिस्ट बनाने का जिम्मा ग्राम रोजगार सहायक का होता है अतः इस मामले में ग्राम रोजगार सहायक समरथ सिन्हा पूर्ण रूप से दोषी है। जांच दल ने इसमें निर्माण एजेंसी की मौन सहमति भी पाई है। जांच दल के अनुसार यह अनियमितता होने की एक वजह उप यंत्री द्वारा ठीक से मॉनिटरिंग नहीं की जाना भी है।

जेल जाएंगे दोषी या फिर मिल जाएगा संरक्षण
जांच दल का प्रतिवेदन जिला पंचायत सीईओ के पास पहुंच चुका है और उन्होंने कार्रवाई की बात भी कही है लेकिन कार्रवाई क्या और कब तक होगी, यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकारी धन का गबन करने वाले सलाखों के पीछे भेजे जाएंगे या सिर्फ कारण बताओ सूचाना पत्र जारी कर इतिश्री कर ली जाएगी? माना जा रहा है कि ‘रसूख’ के आड़े आने से जिस तरह कार्रवाई टल रही है, उस हिसाब से यदि दोषियों को क्षमादान भी मिल जाए तो कदाचित् आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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Amit Nigam

Founder Director Head of CSNN 24 & Bureau chief SWARAJ EXPRESS MP/CG Madhya Pradesh, AMV News network India. Vice President of Ratlam Press Club. DPR Accreditation from MP Government (Adhimanya Patrakar).21 years of journalism experience...along with print media and electronic media.... 18 years experience in national and regional news channels .... M.SC LLB. MEMBER OF RATLAM BAR COUNCIL

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