22 अप्रैल तो उदया तिथि और रोहिणी नक्षत्र मानने वाले 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाएंगे
अक्षय तृतीया 2023

शास्त्रों में उल्लेख है कि अक्षय तृतीया सभी पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली तिथि है। इस दिन किया गया दान-पुण्य और सत्कर्म अक्षय रहता है अर्थात कभी नष्ट नहीं होता। अक्षय का अर्थ है कि ‘न क्षयः इति अक्षयः’अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता वही अक्षय है। इस तिथि में किए गए शुभ कार्यों का पुण्य अक्षय रहता है और इस दिन किया गया दान-पुण्य कर्म का फल कभी नष्ट नहीं होता। इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बिना पंचाग देखे किए जाते हैं।
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त अक्षय तीज कहलाती है। इस बार अक्षय तृतीया दो दिन मनाई जाएगी। तृतीया तिथि मानने वाले 22 अप्रैल तो उदया तिथि और रोहिणी नक्षत्र मानने वाले 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाएंगे। मान्यता है कि इस दिन पर किया गया स्नान, दान, जप, तप और होम का क्षय नहीं होता। इस बार अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग, शुभ कृतिका नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी मिलेंगे।
शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन मांलक्ष्मी, कलश और विष्ण जी की पूजा के लिए 22 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 49 मिनट सेदो-
पहर 12 बजकर 20 मिनट तक शुभ मुहूर्त हैं | अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन -शनिवार
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 07:49 सेदोपहर 12:20 तक है. पूजा की कुल अवधि 4 घंटे 31 मिनट होगी.
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 22 अप्रैल 2023 सुबह 07:49 बजेसे
तृतीया तिथि समाप्त- 23 अप्रैल 2023 सुबह 07:47 तक, अक्षय तृतीया 2023 पर सोना खरीदने का समय -22 अप्रैल 07:49 AM से 23 अप्रैल 06:16 AM तक
अक्षय तृतीया का खास महत्व
धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।इस तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।
अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।.पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान,दान,जप,स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं ।
पौराणिक एवं प्रामाणिक व्रत कथा