हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है। इस साल हनुमान जन्मोत्सव 6 अप्रैल 2023, गुरुगुवार को है। हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंगबली की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहेये शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:20 ए एम।
- प्रातः सन्ध्या- 04:58 ए एम से 06:06 ए एम।
- अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम।
- विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम।
- गोधूलि मुहूर्त- 06:40 पी एम से 07:03 पी एम।
- सायाह्न सन्ध्या- 06:42 पी एम से 07:50 पी एम।
- अमृत काल- 06:22 ए एम से 08:03 ए एम।
ऐसे हुआ हनुमान जी का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं, हालांकि उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वेएक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिता थे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वास है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।कथा के अनुसार त्रैतायुग में राजा दशरथ में पुत्र प्राप्ति के लिए एक हवन. हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर राजा दशरथ की तीनों रानियों कौशल्या, सुभद्रा और कैकेयी को बांटी. उस समय खीर का थोड़ा सा हिस्सा एक पक्षी ले गया | उड़ते-उड़ते वह पक्षी देवी अंजना के आश्रम चला गया. यहां माता अंजना तपस्या कर रही थी | उस दौरान पक्षी के मुंह से खीर माता अंजना के हाथ में गिर गई | देवी ने इसे भोलेनाथ का प्रसाद मानकर ग्रहण कर लिया | इस प्रसाद के प्रभाव और ईश्वर की कृपा से माता अंजना ने शिव के अवतार बाल हनुमान को जन्म दिया | उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी | भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर और स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस तरह से हनुमानजी का प्रगट्यपर्व यानी हनुमान जयंती कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
हनुमान जी के पसंदीदा भोग
1. पान का बीड़ा – रसीला बनारसी पान चढ़ाकर मांग लीजिए मनचाहा वरदान।
2. लौंग, इलायची और सुपारी – हनुमानजी को लौंग, इलायची और सुपारी भी पसंद है।
3. नारियल चढ़ाएं – गरीबी से मुक्ति के लिए 1 नारियल पर सिन्दूर लगाएं और मौली यानी लाल धागा बांधें। इसके बाद यह नारियल हनुमानजी को चढ़ाएं।