भाई दूज 2023 : दीपावली के बाद कब की जाती है भगवान चित्रगुप्त की पूजा ?
जान लीजिए पूजा विधि और मुहूर्त
(www.csnn24.com) कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए यमराज की पूजा करती हैं। इस दिन चित्रगुप्त जी, कलम-दवात, बहीखातों की पूजा की जाती है, मान्यता है इससे उन्नति होती है साथ ही नर्क के कष्ट नहीं सेहने पड़ते | साथ ही इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का भी विधान है। आइए जानते हैं चित्रगुप्त पूजा की विधि और महत्व।
पांच दिवसीय दिवाली के पर्व में आखिरी यानी पांचवें भाई दूज का दिन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 14 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्यतः भाई-बहन के प्रेम का पर्व है। इस दिन बहने अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। साथ ही इस विशेष दिन पर चित्रगुप्त जी की पूजा भी की जाती है।
कौन हैं भगवान चित्रगुप्त ?
भगवान चित्रगुप्त का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के मन से हुआ था। उन्हें देवताओं का लेखपाल भी कहा जाता है। साथ ही वह यमराज के सहायक भी माने गए हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त के पास हर मनुष्य की अच्छे बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रहता है।
भगवान चित्रगुप्त पूजा का महत्व
मुख्यतः भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दिन उन्हें पूजा के दौरान कलम और कागज भी अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को शिक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के योग बनते हैं। आप पूजा में अर्पित की गई कलम का इस्तेमाल रोजाना में कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक पर चित्रगुप्त जी की कृपा बनी रहती है।
भगवान चित्रगुप्त पूजा विधि
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान पर एक चौकी बिछाकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद इस चौकी पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर स्थापित करें।
अब तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान चित्रगुप्त को मिठाई और फूल अर्पित करें। साथ ही भगवान चित्रगुप्त को पूजा के दौरान कलम भी अर्पित करें। इसके बाद एक कागज पर हल्दी लगाकर श्री गणेशाय नमः लिखें। अंत में चित्रगुप्त जी की आरती करें और सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
कब है भाई दूज?
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर होगा और 15 नवंबर को रात 1 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 15 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा। इस बार 14 नवंबर को दोपहर 12 बजे के बाद भाई को तिलक लगा सकते हैं।
भाई को तिलक करने की विधि
भाई दूज के दिन भाई को पूर्वया उत्तर दिशा मेंखड़ा करके रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। एं
तिलक लगाते समय भाई के सिर पर रुमाल या कोई कपड़ा जरूर रख दें।
बहनें जब तिलक लगा चुकी हों, तो भाईयों को बहनों का चरण स्पर्श करने उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
मान्यता है कि बहनों को भाई दूज के दिन तिलक करने से पहले भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
भाई दूज का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्वको भाई-बहनों के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को अक्षत और चंदन का तिलक लगाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यमराज और यमुना जी की पूजा करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
यम द्वितीया का महत्व
यम द्वितीया को भाई दूज के नाम से भी जाना जाता हैं| दरअसल, पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि एक बार यम देव अपनी बहन यमुना या यामी से मिलने गए| बहन ने आरती कर भाई का स्वागत किया| यम देव के माथे पर तिलक लगाकर बहन ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर बढ़िया भोजन कराया| यमराज, बहन के इस स्वागत से खूब खुश हुए और बहन को उपहार देते हुए इस बात की घोषणा की कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाएंगे, बहने उनका आरती और तिलक कर स्वागत करें, इससे भाई सभी तरह की बुरी ताकतों से बचेंगे और उनका कल्याण होगा| तभी से इस दिन भाई-बहन का ये प्यारा त्योहार मनाया जाने लगा|
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 15 मिनट तक भाई को टीका लगाने का शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं, 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट सेलेकर दोपहर 12 बजे तक भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त बन रहा है |